सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अरुणाचल प्रदेश में सैन्य तैयारियों का लिया जायजा

खबर सार :-
भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अरुणाचल प्रदेश के लिकाबाली सैन्य स्टेशन पर सैन्य तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने सेना की अगली पीढ़ी की तकनीक और उपकरणों की सराहना की, साथ ही युद्ध कौशल 3.0 अभ्यास में भारतीय रक्षा उद्योग की भागीदारी और स्वदेशी नवाचारों को उजागर किया।

सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अरुणाचल प्रदेश में सैन्य तैयारियों का लिया जायजा
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अरुणाचल प्रदेश का दौरा कर सैन्य तैयारियों का जायजा लिया। यह दौरा अरुणाचल प्रदेश के एक प्रमुख सैन्य स्टेशन, लिकाबाली में हुआ। अरुणाचल प्रदेश, जिसकी सीमा चीन से सटी हुई है, रणनीतिक दृष्टि से बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। यहां एलओसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के पार चीनी सैनिकों की तैनाती की सूचना है, जिस कारण यह क्षेत्र भारतीय सेना के लिए विशेष ध्यान आकर्षित करता है।

लिकाबाली सैन्य स्टेशन में युद्धक तैयारियों का मूल्यांकन

जनरल द्विवेदी ने लिकाबाली सैन्य स्टेशन में तैनात सैनिकों की युद्धक तैयारियों का मूल्यांकन किया। उन्हें यहां की सुरक्षा स्थिति, प्रौद्योगिकी के उपयोग, सुरक्षा ढांचे में सुधार, और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ तालमेल के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस अवसर पर जनरल द्विवेदी ने सैनिकों की समर्पण भावना और कर्तव्यनिष्ठा की सराहना की, जो कठिन और चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों में सेवा कर रहे हैं।

उन्होंने सेना द्वारा अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और उपकरणों को अपनाने की प्रक्रिया की सराहना की, जिससे सुरक्षा तंत्र को और अधिक मजबूत किया गया है। जनरल द्विवेदी ने सैनिकों को उच्च मनोबल और तत्परता के साथ भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित किया।

घरेलू रक्षा प्रौद्योगिकियां  बढ़त हासिल करने में सहायक

पिछले कुछ दिनों में भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश के कामेंग क्षेत्र में ‘युद्ध कौशल 3.0’ नामक एक सैन्य अभ्यास सफलतापूर्वक किया था। इस अभ्यास में मल्टी डोमेन क्षमता, ड्रोन सर्विलांस, रियल-टाइम टारगेटिंग, और लाइव अटैक का प्रदर्शन किया गया। यह अभ्यास भारतीय सेना की उच्च तकनीकी क्षमताओं और सामूहिक युद्धक रणनीतियों को दर्शाता है।

इस अभ्यास में भारतीय रक्षा उद्योग की भी महत्वपूर्ण भागीदारी रही, जो भारत के डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन (परिवर्तन का दशक) का प्रतीक बना। घरेलू रक्षा प्रौद्योगिकियां रणभूमि में तेजी से बढ़त हासिल करने में सहायक हैं। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और बड़ा कदम है।
 

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