Defence Deal: सऊदी अरब और पाकिस्तान ने एक रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की रियाद यात्रा के दौरान सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ औपचारिक रूप से हुआ। इस समझौते के तहत यदि पाकिस्तान या सऊदी अरब में से किसी पर हमला होता है, तो इसे दोनों देशों पर हमले के रूप में देखा जाएगा, जो नाटो के सिद्धांत जैसा है। यह समझौता दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग और सुरक्षा की साझी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इस समझौते के अनुसार, दोनों देशों के लिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अगर एक देश पर आक्रमण होता है, तो उसे दूसरे देश के खिलाफ भी आक्रमण माना जाएगा। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि पाकिस्तान और सऊदी अरब अपने-अपने क्षेत्रों में सुरक्षा की स्थिति को मजबूत करें और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखें। साथ ही, यह समझौता दोनों देशों को आपसी सैन्य सहयोग बढ़ाने और आक्रामकता के खिलाफ एकजुट होकर मुकाबला करने का अवसर देगा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि यह समझौता न केवल दोनों देशों की संयुक्त सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक और क्षेत्रीय शांति को भी सुनिश्चित करेगा। दोनों देशों के नेताओं ने यह स्पष्ट किया कि इस समझौते का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा, शांति, और स्थिरता को बढ़ावा देना है, न कि किसी तीसरे देश के खिलाफ आक्रामकता को बढ़ावा देना।
भारत ने इस रक्षा समझौते पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को इसकी जानकारी थी और वह इस घटनाक्रम के प्रभावों का अध्ययन कर रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सरकार सभी आवश्यक कदम उठाएगी और क्षेत्रीय तथा वैश्विक स्थिरता के लिए अपनी भूमिका निभाएगी। यह बयान यह संकेत देता है कि भारत इस समझौते के संभावित प्रभावों को लेकर सतर्क है, विशेषकर जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो।
यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब वैश्विक स्तर पर खाड़ी देशों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है। हाल ही में इजरायल ने कतर में हमास नेताओं को निशाना बनाया था, जिससे खाड़ी क्षेत्र में तनाव और असुरक्षा की स्थिति गहरी हुई है। इस घटना ने खाड़ी देशों के लिए सुरक्षा मुद्दों को और भी जटिल बना दिया है, खासकर उन देशों के लिए जो दशकों से अमेरिका की सुरक्षा गारंटी पर निर्भर थे। सऊदी अरब और पाकिस्तान का यह रक्षा समझौता दोनों देशों की सुरक्षा को लेकर एक नई दिशा की ओर इशारा करता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि सऊदी अरब और पाकिस्तान वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा में अपनी भूमिका को और मजबूत करना चाहते हैं।
गौरतलब है कि सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुआ यह रक्षा समझौता न केवल दोनों देशों के सैन्य सहयोग को बढ़ावा देगा, बल्कि वैश्विक और क्षेत्रीय शांति की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। भारत की प्रतिक्रिया से यह जाहिर होता है कि वह इस समझौते के प्रभावों को लेकर सतर्क है और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।
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