Vande Mataram: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती पर प्रदेशव्यापी एकता यात्रा का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने घोषणा की कि प्रदेश के सभी विद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में ‘वंदे मातरम्’ का गायन अनिवार्य किया जाएगा, ताकि हर नागरिक के मन में राष्ट्र और मातृभूमि के प्रति श्रद्धा का भाव जागृत हो। योगी ने कहा कि वंदे मातरम वह राष्ट्रगीत है, जिसने आजादी की लड़ाई में भारत की चेतना को जगाया था। यह गीत सिर्फ शब्द नहीं, राष्ट्रभक्ति का मंत्र है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इसे हर शैक्षणिक संस्थान के दैनिक कार्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी ने अपने संबोधन में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पहले तुष्टिकरण की राजनीति के चलते वंदे मातरम के छंदों में संशोधन किया और आज भी कुछ लोग राष्ट्रगीत का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी मत, मजहब या व्यक्तिगत आस्था राष्ट्र से ऊपर नहीं हो सकती। अगर किसी की आस्था राष्ट्र के आड़े आती है, तो उसे अलग रख देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के लिए आज भी उनका मत और मजहब भारत की एकता से बड़ा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
सपा सांसद द्वारा वंदे मातरम गाने से इनकार पर टिप्पणी करते हुए सीएम योगी ने कहा कि यह वही लोग हैं जो जिन्ना को सम्मान देने वाले कार्यक्रमों में शामिल होते हैं, लेकिन लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती के कार्यक्रम में नहीं आते। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों का इतिहास ही राष्ट्रविरोधी सोच से भरा है। योगी ने तंज कसा कि जो लोग भारत माता के सम्मान के गीत से कतराते हैं, वे कभी भी राष्ट्रहित के साथ नहीं हो सकते।
मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि 1876 में जब वंदे मातरम पहली बार गाया गया, तो इसने हर भारतीय के भीतर आजादी की लौ जलाई। यह गीत क्रांतिकारियों, विद्यार्थियों, महिलाओं और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना। उन्होंने कहा कि “वंदे मातरम” ने विदेशी दासता से मुक्ति का मार्ग दिखाया। जिस गीत ने भारत की आजादी का बिगुल बजाया, उसी को आज सांप्रदायिक बताकर बदनाम करना राष्ट्र के साथ अन्याय है।
योगी ने कहा कि कांग्रेस ने वंदे मातरम में संशोधन करने के लिए 1937 में एक समिति बनाई थी, जिसने इसकी पंक्तियों में बदलाव की सिफारिश की। कांग्रेस ने कहा था कि गीत में भारत माता को देवी स्वरूप – दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती – के रूप में प्रस्तुत किया गया है, इसलिए इसे सीमित किया जाए। मुख्यमंत्री ने इस निर्णय को भारत की राष्ट्रीय भावना पर चोट बताया। उन्होंने कहा कि अगर उस समय कांग्रेस ने मोहम्मद अली जौहर जैसे नेताओं को अध्यक्ष पद से हटाकर राष्ट्रगीत का सम्मान किया होता, तो शायद भारत का विभाजन टल जाता।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वंदे मातरम धरती माता की उपासना का गीत है, न कि किसी धर्म विशेष का। भारतीय संस्कृति में धरती को माता और स्वयं को उसका पुत्र माना गया है। जब मां के सम्मान में कोई चुनौती आती है, तो हर पुत्र का कर्तव्य है कि वह उसके लिए खड़ा हो। वंदे मातरम का विरोध करने वालों को यह समझना होगा कि भारत में कोई भी व्यक्ति, जाति या मजहब राष्ट्र से बड़ा नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल की 150वीं जयंती का आयोजन केवल एक स्मृति कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि देश की एकता के शिल्पी सरदार पटेल ने भारत को जोड़ने का काम किया और अब हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह उस एकता की रक्षा करे। योगी ने यह भी कहा कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति ही 1947 के विभाजन का कारण बनी, और आज भी कुछ लोग उसी सोच को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब उत्तर प्रदेश में ऐसा नहीं होगा, यहाँ हर शैक्षणिक संस्था में राष्ट्रगीत गूंजेगा और हर छात्र को भारत माता की जय बोलने में गर्व महसूस होगा।
सीएम योगी ने स्पष्ट कहा कि जो लोग वंदे मातरम का विरोध कर रहे हैं, वे सीधे तौर पर भारत की एकता और अखंडता को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के अंदर रहने वाला हर नागरिक भारत माता के प्रति निष्ठावान होना चाहिए। वंदे मातरम के विरोध का कोई औचित्य नहीं है। अब समय आ गया है जब राष्ट्रगौरव के प्रतीकों को पुनः स्थापित किया जाए। उन्होंने जनता से अपील की कि वंदे मातरम को अपनी जीवनशैली और दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
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