UP Accident: चालकों की थकान छीन रही जिंदगियां, 140 दिनों में ही हादसों में आठ हजार से अधिक मौतें

खबर सार :-
यूपी में एक जनवरी से 20 मई 2025 तक 13,000 से अधिक सड़क हादसे हुए हैं। वर्ष के 140 दिनों में ही इन हादसों में 7,700 से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी है। उप्र सड़क सुरक्षा व जागरूकता प्रकोष्ठ की ओर से किए गए ताजा अध्ययन में यह आंकड़ा सामने आया है।

UP Accident: चालकों की थकान छीन रही जिंदगियां, 140 दिनों में ही हादसों में आठ हजार से अधिक मौतें
खबर विस्तार : -

लखनऊ: यूपी में एक जनवरी से 20 मई 2025 तक 13,000 से अधिक सड़क हादसे हुए हैं। वर्ष के 140 दिनों में ही इन हादसों में 7,700 से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी है। उप्र सड़क सुरक्षा व जागरूकता प्रकोष्ठ की ओर से किए गए ताजा अध्ययन में यह आंकड़ा सामने आया है। अध्ययन में यह भी सामने आया है कि सड़क हादसों के मामले में दोपहर का वक्त सबसे संवेदनशील है। इस अवधि में दोपहर में हुए सबसे अधिक 4,352 हादसों में 2,238 लोग काल के गाल में समा चुके हैं।

अध्ययन में यह भी सामने आया कि शाम के वक्त ऑफिसों से छूट्टी होने के बाद सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव बढ़ने और दृश्यता कम होने से 3,254 हादसे हुए हैं। इन हादसों में 1,945 लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा सुबह छह से दोपहर 12 बजे तक कुल 2,629 हादसे हुए। इनमें 1,447 लोगों की मौत हुई है। रात में नौ बजे से सुबह तीन बजे तक कुल 2,585 हादसे हुए। जिसमें 1,699 मौतें हुई हैं।

इसकी प्रमुख वजह खाली सड़कों पर तेज रफ्तार से गाड़ी चलाना और चालक की थकान है। वहीं, सुबह तीन बजे से छह बजे तक सबसे कम 506 हादसे हुए और इनमें सबसे कम 392 मौतें हुई हैं। इस अवधि में हुए कुल हादसों में मृत्यु दर सर्वाधिक 77 प्रतिशत है। एकीकृत सड़क दुर्घटना डाटाबेस (आइआरएडी), विस्तृत दुर्घटना रिकार्ड और राज्य के सड़क सुरक्षा डैशबोर्ड से प्राप्त डाटा के अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है।

यूपी में वर्ष 2024 में कुल 46,052 सड़क हादसे हुए थे। इन हादसों में कुल 24,118 लोगों की मौत हुई थी और 34,665 लोग घायल हुए थे। यूपी में वर्ष 2023 में कुल 44,534 सड़क हादसे हुए थे और इनमें 23,652 लोगों की मौत और 31,098 लोग घायल हुए थे। 

चालकों की थकान बन रही दुर्घटना की वजह

प्रकोष्ठ के अध्ययन के मुताबिक सड़क हादसों की बड़ी वजह पर्याप्त नींद से वंचित रह रहे चालकों की थकान और लंबी दूरी की ड्राइविंग बन रही है। दोपहर के समय और शाम को दुर्घटनाएं बढ़ने के पीछे प्रमुख वजह ड्राइवरों का व्यवहार है। प्रकोष्ठ ने सबसे अधिक जोखिम वाले घंटों के समय प्रवर्तन अभियान चलाने और पुलिस की चौकसी बढ़ाने का सुझाव दिया है।

साथ ही, वाहनों की रफ्तार जांचने वाले उपकरणों का उपयोग कर हादसों में कमी लाने का भी सुझाव दिया है। सुबह के समय यातायात का दबाव कम करने के लिए स्कूलों और ऑफिसों का टाइम बदलने का भी सुझाव दिया है। रात के समय होने वाले हादसों पर अंकुश लगाने के लिए सड़कों पर वाहन चालकों के आराम के लिए आरामगृह बनाने का भी सुझाव दिया है।  
 

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