मुआवजा कानून का दो साल में किसी उपभोक्ता को नहीं मिला लाभ

खबर सार :-
तय समय में विद्युत व्यवधान दूर न होने पर उपभोक्ताओं को मुआवजा देने का प्रावधान है। यूपी में यह कानून दो साल पहले लागू किया गया था। हालांकि, दो वर्षों में मुआवजा कानून का लाभ एक भी उपभोक्ता को नहीं मिल सका है। उपभोक्ताओं को मुआवजा न मिल पाने के पीछे भी यूपीपीसीएल का सिस्टम बड़ी वजह है।

मुआवजा कानून का दो साल में किसी उपभोक्ता को नहीं मिला लाभ
खबर विस्तार : -

लखनऊ : तय समय में विद्युत व्यवधान दूर न होने पर उपभोक्ताओं को मुआवजा देने का प्रावधान है। यूपी में यह कानून दो साल पहले लागू किया गया था। हालांकि, दो वर्षों में मुआवजा कानून का लाभ एक भी उपभोक्ता को नहीं मिल सका है। उपभोक्ताओं को मुआवजा न मिल पाने के पीछे भी यूपीपीसीएल का सिस्टम बड़ी वजह है। वर्ष 2024-25 की बिजली दरों की सुनवाई के दौरान नियामक आयोग के समक्ष उपभोक्ताओं को मुआवजा न मिल पाने के कारणों पर चर्चा भी की गई थी।

जिसके बाद नियामक आयोग ने टैरिफ आदेश के साथ यूपीपीसीएल को सिस्टम में सुधार करने के आदेश दिए थे। दरअसल, तय समय में बिजली समस्या का समाधान न होने पर मुआवजा कानून का लाभ लेने के लिए उपभोक्ताओं को यूपीपीसीएल के टोल फ्री नंबर 1912 पर शिकायत दर्ज करानी होती है। टोल फ्री नंबर पर उपभोक्ता अपनी समस्या बताता है।

उपभोक्ता की समस्या दूर हुई अथवा नहीं, इसके पहले ही टोल फ्री नंबर 1912 से उपभोक्ता के मोबाइल नंबर पर समस्या दूर होने का संदेश आ जाता है। तय मियाद से पहले ही संदेश आ जाने के चलते ही उपभोक्ता मुआवजे की दावेदारी से वंचित रह जाते हैं। वहीं, नियामक आयोग ने मुआवजा कानून का लाभ देने के लिए ओटीपी आधारित समाधान व्यवस्था लागू करने के आदेश दिए थे। बावजूद इसके यूपीपीसीएल आज तक यह खामी दूर नहीं कर सका। 

दो महीने में मुआवजा देने का नियम 

बिजली सम्बंधी किसी भी समस्या के तय समय में निस्तारण न होने पर मुआवजा की राशि तय की गई है। इसके साथ ही मुआवजा मिलने की अधिकतम राशि भी तय की गई है। उपभोक्ताओं को अधिकतम दो माह यानि 60 दिनों में इसका लाभ देने का नियम है। उपभोक्ताओं को वित्तीय वर्ष में दिए गए फिक्स या डिमांड चार्ज के 30 प्रतिशत से अधिक मुआवजा नहीं मिलेगा।

वहीं, नियामक आयोग की ओर से मुआवजा कानून को वर्ष 2019 में ही जारी कर दिया था। हालांकि, बिजली कम्पनियों की लापरवाही के चलते चार वर्षों तक यह कानून लागू नहीं हो सका। वर्ष 2023 में नियामक आयोग के सख्त रूख के बाद इसे लागू किया गया। 
 

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