बिजली कम्पनियां जुलाई माह के बिल में उपभोक्ताओं से फिर वसूलेंगी ईंधन अधिभार शुल्क

खबर सार :-
यूपी में बिजली व्यवस्था के निजीकरण का मुद्दा गरमाया हुआ है। बिजली कम्पनियां निजीकरण को लेकर उपभोक्ताओं पर कई प्रकार के शुल्क का बोझ डाल रही हैं। उपभोक्ताओं से हर माह ईंधन अधिभार शुल्क के रूप में करोड़ों रुपए की वसूली की जा रही है। उपभोक्ताओं की बिजली महंगी करने का प्रस्ताव भी नियामक आयोग में दिया गया है। जिस पर जुलाई माह में सुनवाई की जाएगी।

बिजली कम्पनियां जुलाई माह के बिल में उपभोक्ताओं से फिर वसूलेंगी ईंधन अधिभार शुल्क
खबर विस्तार : -

लखनऊ : जुलाई माह में बिजली कम्पनियां उपभोक्ताओं से फिर ईंधन अधिभार शुल्क वसूलेंगी। उपभोक्ताों के जुलाई माह के बिजली बिल में 1.97 प्रतिशत ईंधन अधिभार जुड़ा रहेगा। इस शुल्क के जरिए बिजली कम्पनियां उपभोक्ताओं से जुलाई माह में 187 करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व वसूल करेंगी। गौरतलब है कि जून महीने में बिजली कम्पनियों ने उपभोक्ताओं के बिजली बिल में 4.27 प्रतिशत ईंधन अधिभार शुल्क जोड़ते हुए 390 करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व की वसूली की थी।

वहीं, जुलाई में जो ईंधन अधिभार शुल्क वसूल किया जाएगा, वह अप्रैल महीने का है। इस बाबत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर पहले से ही 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहा है। ऐसे में उक्त शुल्क उपभोक्ताओं से नहीं लिया जाना चाहिए। ईंधन अधिभार शुल्क को उपभोक्ताओं की निकल रही सरप्लस धनराशि से कम करना चाहिए। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि हर महीने उपभोक्ताओं से ईंधन अधिभार शुल्क लिए जाने का आदेश पूरी तरह से गलत है।

प्रदेश की दो बिजली कम्पनियों के निजीकरण में दिलचस्पी दिखा रहे निजी घरानों को खुश करने के लिए बिजली कम्पनियां ऐसा कर रही हैं। ताकि वह बता सकें कि हर माह ईंधन अधिभार शुल्क भी वसूला जा रहा है। उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस निकलने के बावजूद विद्युत नियामक आयोग से एक रेगुलेशन जारी करा कर लगातार ईंधन अधिभार शुल्क वसूला जा रहा है। 

प्रतियोगी परीक्षा में पूछा गया बिजली निजीकरण का सवाल  

उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की रविवार को आयोजित की गई कनिष्ठ सहायक, कनिष्ठ लिपिक और सहायक स्तर तीन की मुख्य परीक्षा में दो बिजली कम्पनियों के निजीकरण पर सवाल पूछे गए थे। दो डिस्कॉम के निजीकरण के सवाल को प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जाने पर उपभोक्ता परिषद ने सरकार से उपभोक्ताओं के हित से जुड़े पांच सवाल पूछे हैं। इन सवालों में निजीकरण से बिजली दरों में व्यापक वृद्धि, सरकारी सम्पत्ति कम दाम में बेंचे जाने, सरकारी क्षेत्र में रोजगार का सपना देख रहे युवाओं में निराशा, आरक्षण के 16,000 पदों के समाप्त होने और देश के बड़े निजी घरानों को लाभ पहुंचाने जैसे सवाल शामिल हैं।

परिषद ने कहा कि सरकार को ऐसा लगता है कि बिजली निजीकरण जनहित में है तो वह 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपने संकल्प पत्र में 42 जनपदों की बिजली व्यवस्था के निजीकरण का मुद्दा शामिल करते हुए उस पर मिलने वाली प्रतिक्रिया जान ले। इससे पता चल जाएगा कि किसका लाभ होगा और किसका नुकसान। उन्होंने निजीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग सरकार से की। 
 

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