लखनऊ : पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की संपत्ति निर्धारण को लेकर तकरार बढ़ती जा रही है। निजीकरण प्रस्ताव में दोनों निगमों की संपत्ति कम आंकने का आरोप लगाया जा रहा है। इसको लेकर मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को शिकायती पत्र भेजा गया है। पत्र में संपत्ति कम दिखाने के पीछे निजी घरानों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। इन सबके पीछे यूपीपीसीएल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया गया है। यूपी में पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम को तोड़कर पांच नई बिजली कम्पनियां बनाई जा रही हैं। दोनों बिजली कम्पनियों के संपत्ति निर्धारण को लेकर विरोध हो रहा है।
यूपीपीसीएल के स्वतंत्र ऑडिटर द्वारा बीते 11 जून को दी गई रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि 31 मार्च 2025 तक सभी निगमों की कुल संपत्ति 1.80 लाख करोड़ रुपए है। इसमें मध्यांचल डिस्कॉम की संपत्ति 42,700 करोड़, पूर्वांचल डिस्कॉम की 53,234 करोड़, पश्चिमांचल डिस्कॉम की 44,176 करोड़, दक्षिणांचल डिस्कॉम की 36,204 करोड़ और केस्को की 4304 करोड़ रुपए है। निजीकरण के प्रस्ताव में आरक्षित निविदा मूल्य 6500 करोड़ रखा गया है। उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया है कि दोनों डिस्कॉम तोड़कर बनाई जा रही पांच बिजली कम्पनियों का आरक्षित मूल्य कम से कम 12 से 15 हजार करोड़ रुपए होना चाहिए।
निजीकरण का प्रस्ताव तैयार करने वाली कंपनी जानबूझकर निगमों की संपत्ति कम दिखा रही है। जिससे निजी घरानों को उपकृत किया जा सके। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि बिजली बिल बकाए को निजी घराने हड़पना चाहते हैं। इसमें यूपीपीसीएल अफसरों की मिलीभगत है। एक अप्रैल 2010 को आगरा में टोरेंट पावर कंपनी से करार के दौरान कुल राजस्व बकाया करीब 2200 करोड़ रुपए था। करार के तहत यह राशि टोरेंट पावर कंपनी को यूपीपीसीएल को लौटाना था। 15 वर्षों बाद कंपनी ने यूपीपीसीएल को एक पैसा भी नहीं लौटाया।
पावर कॉर्पाेरेशन बिजली दर ही नहीं, नए कनेक्शन की दरों में भी वृद्धि चाहता है। घरेलू कनेक्शन की दर में करीब 25 से 50 प्रतिशत और वाणिज्यिक दर में 100 प्रतिशत तक वृद्धि की मांग कर रहा है। यूपीपीसीएल बिजली दर में करीब 45 प्रतिशत वृद्धि के साथ ही नए कनेक्शन की दर बढ़ाने का प्रस्ताव दाखिल कर चुका है। नियामक आयोग सभी निगमों में सुनवाई भी कर चुका है। अब नियामक आयोग की उप समिति की जल्द ही बैठक होने वाली है। इसमें दरों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
ऐसे में कॉरपोरेशन प्रबंधन उप समिति की बैठक में नए कनेक्शन की दरों को बढ़ाने के लिए लगातार पैरवी कर रहा है। यूपीपीसीएल के अफसरों ने इस मुद्दे पर नियामक आयोग में चर्चा भी की। गौरतलब है कि प्रदेश में बीपीएल उपभोक्ताओं को करीब 1032 रुपए में कनेक्शन मिलता है। एक किलोवाट का कनेक्शन लेने पर अभी ग्रामीण इलाके में करीब 1172 रुपए और शहरी इलाके में करीब 1570 रुपए जमा करना पड़ता है। यदि 40 मीटर से दूर कनेक्शन होता है तो पोल का खर्च करीब पांच से सात हजार रुपए अतिरिक्त जमा करने होते हैं।
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने यूपीपीसीएल और वितरण निगमों (डिस्कॉम) के शिकायत प्रकोष्ठ के नोडल अफसरों के साथ बैठक की। वर्चुअल बैठक में शिकायतों की स्थिति की जानकारी ली। लंबित मामलों को जल्द से जल्द निस्तारित करने का निर्देश दिया। ऊर्जा मंत्री ने नोडल अधिकारियों से पूछा कि किस तरह की शिकायतें ज्यादा आ रही हैं। अधिकारियों ने बताया कि ट्रांसफार्मर और आपूर्ति से जुड़े मामलों की शिकायत बार-बार आती है।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि उपभोक्ताओं की संतुष्टि ही विभाग की प्राथमिकता है। अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी लंबित शिकायतों का प्राथमिकता के आधार पर त्वरित निस्तारण सुनिश्चित किया जाए। ऊर्जा मंत्री ने स्पष्ट किया कि उपभोक्ता सेवा की गुणवत्ता में किसी भी प्रकार की शिथिलता स्वीकार्य नहीं है। विभागीय उत्तरदायित्व तय करते हुए निरंतर निगरानी की जाएगी।
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