Eco Friendly Metro : यूपी मेट्रो पर्यावरण संरक्षण में बना देश का उदाहरण, 12 करोड़ यात्रियों ने चुना हरित सफर!

खबर सार :-
Eco Friendly Metro: साल 2017 में जब मेट्रो की शुरूआत हुई थी तब से आज तक  करीब 12 करोड़ से भी ज्यादा यात्रियों ने मेट्रो को अपने परिवहन के रूप में चुना है। इसका सीधा मतलब है कि करीब 12 करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपनी गाड़ी सड़क पर उतार कर राजधानी में वायु प्रदूषण को कम करने में अपना योगदान दिया है।

Eco Friendly Metro : यूपी मेट्रो पर्यावरण संरक्षण में बना देश का उदाहरण, 12 करोड़ यात्रियों ने चुना हरित सफर!
खबर विस्तार : -

Eco Friendly Metro:  आज विश्व पर्यावरण दिवस के खास मौके पर उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पाेरेशन (UPMRC) ने अपनी हरित पहल की एक तस्वीर पेश की। इससे पता चलता है कि यूपी मेट्रो ने कैसे शहरी विकास के साथ-साथ स्वच्छ भविष्य की दिशा में कई बड़े कदम एक साथ उठाए हैं। साल 2017 में जब मेट्रो की शुरूआत हुई थी तब से आज तक  करीब 12 करोड़ से भी ज्यादा यात्रियों ने मेट्रो को अपने परिवहन के रूप में चुना है। इसका सीधा मतलब है कि करीब 12 करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपनी गाड़ी सड़क पर न उतार कर राजधानी में वायु प्रदूषण को कम करने में अपना योगदान दिया है। 

शहरी हरियाली में मेट्रो का अहम योगदान

UPMRC सिर्फ यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह नहीं पहुंचा रहा, बल्कि शहरी हरियाली बढ़ाने में भी उसका अहम योगदान है। उत्तर प्रदेश के तीन प्रमुख शहरों लखनऊ, कानपुर और आगरा  में  मेट्रो ने कुल 1.1 लाख वर्ग मीटर से ज्यादा का हरियाली युक्त क्षेत्र का निर्माण किया है।  

लखनऊ मेट्रो के डिपो, ऑफिस और स्टेशनों के आस-पास 65,000 वर्ग मीटर में हरियाली है।

कानपुर मेट्रो भी 35,000 वर्ग मीटर हरित क्षेत्र के साथ इस पहल में पीछे नहीं है।

आगरा मेट्रो भी इस अभियान में अपनी 1,200 वर्ग मीटर भूमि के साथ सक्रिय भागीदार है।

यह हरियाली न केवल शहर की खूबसूरती में इजाफा करती है बल्कि शहरी पर्यावरण को स्वच्छ रखने में भी मदद करती है।

सौर ऊर्जा से जगमगाती मेट्रो

पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोतों को अपनाने में भी UPMRC अग्रणी रहा है। उसने अब तक कुल 4.412 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता विकसित की है।

लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर डिपो में 2.28 मेगावाट और बाकी स्टेशनों पर 1 मेगावाट की अतिरिक्त सौर क्षमता स्थापित की गई है।

गोमतीनगर और मुंशीपुलिया जैसे इलाकों में भी छोटे-छोटे सौर संयंत्र लगे हैं।

पिछले पांच सालों में इन संयंत्रों से 60 लाख यूनिट से ज्यादा बिजली पैदा की जा चुकी है, जो एक बड़ी बचत है।

कानपुर मेट्रो डिपो में भी 1 मेगावाट की एक और यूनिट चालू की गई है, जो इस हरित पहल को और मज़बूत कर रही है।

जल संरक्षण की अनोखी पहल

जल संरक्षण के मामले में भी UPMRC हर साल लगभग 35 लाख लीटर वर्षा जल का संरक्षण करता है। मेट्रो ट्रेनों की सफाई के लिए रिसाइकिल पानी का इस्तेमाल ही किया जाता है, जिसे बाद में हरियाली क्षेत्रों में उपयोग में लाया जाता है। इससे पानी की बर्बादी रुकी है। इसके अलावा पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए UPMRC ने ज़ीरो-डिस्चार्ज नीति अपनाई है। तीनों शहरों में मेट्रो डिपो ज़ीरो-डिस्चार्ज अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली से लैस हैं। 

यूपीएमआरसी (उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन) ने भारतीय ऊर्जा एक्सचेंज से ओपन एक्सेस मॉडल के माध्यम से बिजली खरीदने वाली उत्तर प्रदेश की पहली इकाई बनकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस पहल के परिणामस्वरूप पहले ही 3.5 करोड़ रुपये की ऊर्जा लागत बचत हुई है, जो दर्शाता है कि पर्यावरण के अनुकूल अभ्यास आर्थिक रूप से भी कैसे फायदेमंद हो सकते हैं।

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