भीषण गर्मी में रोडवेज की तीन हजार बसें डिपो में कैद, यात्रियों को रूट पर नहीं मिल रही बसों की सुविधा

खबर सार :-
परिवहन निगम की रोजाना करीब 20 प्रतिशत बसों का संचालन ठप रहता है। भीषण गर्मी में परिवहन निगम की लापरवाही का खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। रोजाना लगभग 3000 बसों के डिपो में खड़े रहने से राज्य के कई मार्गों पर या तो बसें नहीं मिल रही हैं या बस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।

भीषण गर्मी में रोडवेज की तीन हजार बसें डिपो में कैद, यात्रियों को रूट पर नहीं मिल रही बसों की सुविधा
खबर विस्तार : -

लखनऊ : परिवहन निगम की रोजाना करीब 20 प्रतिशत बसों का संचालन ठप रहता है। भीषण गर्मी में परिवहन निगम की लापरवाही का खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। रोजाना लगभग 3000 बसों के डिपो में खड़े रहने से राज्य के कई मार्गों पर या तो बसें नहीं मिल रही हैं या बस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। बसों का संचालन न होने से जहां यात्री परेशान हो रहे हैं तो वहीं परिवहन निगम को भी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

यूपीएसआरटीसी के बेड़े में कुल बसों की संख्या 13,599 है। इनमें से रोजाना करीब 11 हजार बसें ही संचालित हो पा रही हैं। स्टॉफ की कमी और खराबी के चलते इन बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है। सबसे खराब हालात कानपुर क्षेत्र का है। यह आलम तब है जब कानपुर के क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल कुमार प्रधान प्रबंधक संचालन की भी जिम्मेदारी संभाले हुए हैं।

गाजियाबाद और लखनऊ रीजन में भी काफी संख्या में बसों का संचालन रोजाना नहीं हो पा रहा है। इसी प्रकार से देवीपाटन, मेरठ और चित्रकूट रीजन की भी बड़ी संख्या में बसें रूट पर नहीं जा रही हैं। इस हालात से क्षेत्रीय अफसरों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं, रोडवेज बसों का संचालन न होने से यात्रियों को डग्गामार बसों का सहारा लेना पड़ रहा है। 

सबसे अधिक एसी बसों का संचालन प्रभावित 

परिवहन निगम यात्रियों को बेहतर यात्रा सुविधा का दावा करता है। हालांकि, एसी बसों की खराब हालत निगम के दावे को खोखला साबित कर रही है। यूपीएसआरटीसी के बेड़े में एसी बसों की संख्या करीब 700 है। इनमें से करीब 230 एसी बसें रोजाना ऑफ रूट चल रही हैं। एसी बसों का संचालन जिन रीजनों में अधिक प्रभावित है उनमें कानपुर, सहारानपुर, मेरठ, सहारनपुर और गोरखपुर परिक्षेत्र सबसे आगे हैं।

यही नहीं लखनऊ रीजन में भी करीब 30 प्रतिशत एसी बसों का संचालन प्रतिदिन प्रभावित है। सूत्रों की मानें तो रूट पर न जाने वाले बसों की एकमात्र वजह खराबी ही नहीं है। क्षेत्रीय अफसरों की लापरवाही भी बड़ा कारण है। प्रबंध निदेशक के निर्देशों का भी पालन नहीं किया जा रहा है। 
 

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