विद्युत उपभोक्ताओं से बिजली कम्पनियां हर वर्ष कमा रहीं 9000 करोड़ रुपये

खबर सार :-
पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया के बीच अब यूपीपीसीएल बैंकों से कर्ज लेने जा रहा है। यूपीपीसीएल निदेशक मंडल ने पीएफसी से 2000 करोड़ रुपये और इंडियन ओवरसीज बैंक से 400 करोड़ रुपये कर्ज लेने के लिए संकल्प पारित किया है। दोनों विरोधाभासी कदमों को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। यूपी पावर कॉरपोरेशन निदेशक मंडल ने सात वर्षों के लिए कर्ज लेना तय किया है।

विद्युत उपभोक्ताओं से बिजली कम्पनियां हर वर्ष कमा रहीं 9000 करोड़ रुपये
खबर विस्तार : -

लखनऊ : पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया के बीच अब यूपीपीसीएल बैंकों से कर्ज लेने जा रहा है। यूपीपीसीएल निदेशक मंडल ने पीएफसी से 2000 करोड़ रुपये और इंडियन ओवरसीज बैंक से 400 करोड़ रुपये कर्ज लेने के लिए संकल्प पारित किया है। दोनों विरोधाभासी कदमों को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। यूपी पावर कॉरपोरेशन निदेशक मंडल ने सात वर्षों के लिए कर्ज लेना तय किया है।

यूपीपीसीएल की पांच बिजली वितरण कम्पनियों में कुल उपभोक्ताओं की संख्या करीब 3.45 करोड़ है। इनमें से 1.70 करोड़ उपभोक्ता वाले पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्काम को निजी हाथों में सौंपने का फैसला प्रबंधन ने लिया हुआ है। इसके विपरीत यूपीपीसीएल निदेशक मंडल ने  प्रदेश में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए वित्तीय संस्थाओं से कर्ज लेने का फैसला लिया है।

कम्पनियों को निजी हाथों में सौंपने और बिजली की उपलब्धता के लिए कर्ज लेना दो अलग-अलग बातें हैं। प्रबंधन का यह विरोधभासी कदम समझ से परे है। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि एक ओर यूपीपीसीएल कह रहा है कि अब सरकार बिजली कम्पनियों के घाटे के वहन नहीं करेगी। सबसे अधिक 16,500 करोड़ रुपये टैरिफ सब्सिडी सरकार देती है। विद्युत उपभोक्ताओं की ओर से हर वर्ष सरकारी खजाने में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के मद में 3,000 से 4,000 करोड़ रुपये जमा होते हैं।

इसके अलावा विभिन्न योजनाओं में खर्च होने वाले बजट व स्टीमेट की धनराशि पर लगने वाली जीएसटी के मद में भी हर साल 5000 करोड़ रुपये जमा होते हैं। उपभोक्ताओं के इस्टीमेट कनेक्शन चार्ज व अन्य मद के जीएसटी का पैसा भी सरकारी खजाने में जमा हो रहा है। ऐसे में विद्युत उपभोक्ताओं से हर वर्ष 9000 करोड़ रुपये की कमाई हो रही है। बावजूद इसके बिजली कम्पनियां कैसे घाटे में हैं, यह समझ से परे है। 

बिजली कर्मियों की महापंचायत 22 को 

निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मियों की महापंचायत 22 जून को होगी। पंचायत में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के साथ बिजली उपभोक्ता, किसान भी शामिल रहेंगे। पंचायत में निजीकरण के खिलाफ बड़े आंदोलन का फैसला लिया जाएगा।

संघर्ष समिति की ओर से दोनों डिस्कॉम के निजीकरण के विरोध में बीते छह महीने से चल रहे विरोध प्रदर्शन में किसानों व आम उपभोक्ताओं को साथ जोड़कर आगे बढ़ने का निर्णय लिया गया है। महापंचायत का मकसद निजीकरण के चलते प्रभावित होने वाले सभी वर्गों को एक साथ लेकर आंदोलन करना है। पंचायत में निजीकरण को लेकर यूपीपीसीएल प्रबंधन की ओर से पेश किए जा रहे झूठे आंकड़ों पर श्वेत पत्र जारी किया जाएगा। 
 

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