मॉडल शॉप पर रखनी होगी मेड इन यूपी वाइन, आबकारी नीति में बदलाव करेगी योगी सरकार

खबर सार :-
यूपी में मॉडल शॉप पर राज्य में उत्पादित फलों से बनी देशी शराब रखना अनिवार्य होगा। यूपी का आबकारी विभाग इसकी योजना बना रहा है। आबकारी विभाग जल्द ही वर्तमान नीति और नियमों में बदलाव के लिए प्रस्ताव बनाएगा। नीति में संशोधन के लिए इस प्रस्ताव को राज्य मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा।

मॉडल शॉप पर रखनी होगी मेड इन यूपी वाइन, आबकारी नीति में बदलाव करेगी योगी सरकार
खबर विस्तार : -

लखनऊ : यूपी में मॉडल शॉप पर राज्य में उत्पादित फलों से बनी देशी शराब रखना अनिवार्य होगा। यूपी का आबकारी विभाग इसकी योजना बना रहा है। आबकारी विभाग जल्द ही वर्तमान नीति और नियमों में बदलाव के लिए प्रस्ताव बनाएगा। नीति में संशोधन के लिए इस प्रस्ताव को राज्य मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा। विभाग का मकसद खुदरा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए न्यूनतम कोटा निर्धारित करना है।

राज्य की आबकारी नीति में वर्ष 2022 में स्थानीय स्तर पर उत्पादित फलों से शराब बनाना शुरू करने के प्रावधान किए गए थे। हालांकि, इसका वाणिज्यिक संचालन अभी तक शुरू नहीं हो सका। अब आबकारी विभाग इस दिशा में कदम उठाने जा रहा है। इस फैसले से लखनऊ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और नोएडा में स्थित चार वाइनरी ऑपरेटरों के साथ-साथ क्षेत्र के स्थानीय किसानों को भी लाभ होगा।

दरअसल, यूपी में सरकार के मेड इन यूपी शराब पर उत्पाद शुल्क न लगाने के चलते खुदरा विक्रेताओं ने मॉडल शॉप में इन उत्पादों का स्टॉक रखने में रूचि नहीं दिखाई। राजधानी लखनऊ के खुदा विक्रेताओं के मुताबिक, खुदरा विक्रेता को शराब व्यापार के माध्यम से आबकारी विभाग को एक निश्चित आय देनी होती है। इसको न्यूनतम गारंटी कोटा (एमजीक्यू) कहा जाता है। खुदरा विक्रेताओं के लिए एक माह में वाइन की बोतलों की न्यूनतम मात्रा खरीदना भी अनिवार्य है। 

सरकारी खजाने में जाता है उत्पाद शुल्क का बड़ा हिस्सा 

अंग्रेजी वाइन, देशी शराब और बीयर की बोतलों की बिक्री पर उनके रेट का एक बड़ा हिस्सा उत्पाद शुल्क के रूप में प्रदेश के खजाने में जमा होता है। इसके जरिए खुदा विक्रेताओं को न्यूनतम गारंटी कोटा हासिल करने में मदद मिलती है। स्थानीय उत्पादित फलों से बनी वाइन की बिक्री से प्रदेश को कोई उत्पाद शुल्क नहीं मिलेगा। ऐसे में खुदरा विक्रेता भी एमजीक्यू प्राप्त नहीं कर पाएंगे। इसके चलते ही कोई भी खुदरा विक्रेता स्थानीय वाइन का स्टॉक रखने में रूचि नहीं लेता है। इसके बदले अधिक मांग वाले उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करता है। 

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