विजय राणा की हत्या की साजिश, डीजीपी से मुलाकात करेगा प्रतिनिधि मण्डल

खबर सार :-
भारतीय चमार महासभा का राष्ट्रीय एवं प्रांतीय प्रतिनिधि मंडल 30 मई को डीजीपी से मिलकर विजय राणा चमार की हत्या की साजिश के बारे में जानकारी देगा।  महासभा का आरोप है कि सुल्तानपुर प्रशासन इस पूरी घटना की अनदेखी कर रहा है।

विजय राणा की हत्या की साजिश, डीजीपी से मुलाकात करेगा प्रतिनिधि मण्डल
खबर विस्तार : -

सुल्तानपुरः भारतीय चमार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय राणा चमार की अज्ञात असामाजिक तत्वों द्वारा हत्या की साजिश का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस घटना ने न सिर्फ संगठन के कार्यकर्ताओं में आक्रोश भर दिया है, बल्कि पूरे दलित समाज में भय और असुरक्षा की लहर भी फैला दी है। हैरानी की बात यह है कि सुल्तानपुर जिला प्रशासन इस गंभीर मामले में अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाया है। जानकारी के मुताबिक हाल ही में विजय राणा चमार को उनकी हत्या की साजिश के बारे में पता चला। यह सिर्फ एक व्यक्ति पर हमले का मामला नहीं है, बल्कि एक पूरे समुदाय के नेतृत्व और सम्मान पर सीधा हमला है। इसके बावजूद प्रशासन की निष्क्रियता ने पीड़ितों के दर्द और असंतोष को और गहरा कर दिया है।

अनदेखी का गंभीर आरोप

भारतीय चमार महासभा का आरोप है कि सुल्तानपुर प्रशासन इस पूरी घटना की अनदेखी कर रहा है। संगठन का कहना है कि जिस तरह से हत्या जैसी गंभीर साजिश को नजरअंदाज किया जा रहा है, वह प्रशासन की असंवेदनशीलता और जातिगत भेदभाव की ओर इशारा करता है। महासभा के पदाधिकारियों का कहना है कि प्रशासन की यह चुप्पी किसी सुनियोजित साजिश पर पर्दा डालने का प्रयास भी हो सकती है। इस गंभीर मामले को लेकर संगठन का राष्ट्रीय/प्रांतीय प्रतिनिधिमंडल 30 मई को पुलिस महानिदेशक से मुलाकात कर पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करेगा। प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो यह प्रशासनिक चूक आने वाले समय में बड़े सामाजिक असंतोष का कारण बन सकती है।

जवाबदेही तय की जाए

महासभा ने यह भी मांग की है कि सुल्तानपुर प्रशासन की भूमिका की विभागीय जांच कराकर जवाबदेही तय की जाए और अनुसूचित जाति-जनजाति के नेताओं को लगातार मिल रही धमकियों पर अंकुश लगाने के लिए विशेष निगरानी प्रकोष्ठ का गठन किया जाए। समाज के मूल्यों और संविधान की रक्षा की दुहाई देते हुए महासभा ने चेतावनी दी है कि अगर दलित नेतृत्व को डराने-धमकाने का सिलसिला इसी तरह जारी रहा और प्रशासन मूकदर्शक बना रहा तो यह लोकतंत्र के लिए घातक संकेत होगा।

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