बलिदान दिवस के अवसर पर सोनभद्र बार एसोसिएशन सभागार में काव्य संध्या का हुआ आयोजन

खबर सार :-
साहित्य दीप संस्थान चुर्क सोनभद्र के तत्वावधान में युवा कवि दिलीप सिंह दीपक के आयोजन में अमर शहीदों के बलिदान दिवस पर सोनभद्र बार एसोसिएशन सभागार में काव्य संध्या आयोजित हुई। वरिष्ठ गीतकार ईश्वर विरागी की अध्यक्षता में कवियों ने वीर, राष्ट्रभक्ति, करुणा और हास्य रस की रचनाएँ प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम में अतिथियों व कवियों का सम्मान किया गया।

बलिदान दिवस के अवसर पर सोनभद्र बार एसोसिएशन सभागार में काव्य संध्या का हुआ आयोजन
खबर विस्तार : -

सोनभद्रः साहित्य दीप संस्थान चुर्क सोनभद्र के युवा कवि दिलीप सिंह दीपक के आयोजन में अमर शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रौशन सिंह, राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी के बलिदान दिवस के अवसर पर सोनभद्र बार एसोसिएशन सभागार कचहरी मे शुक्रवार को काव्य संध्या का आयोजन किया गया। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ गीतकार ईश्वर विरागी,  सोनभद्र बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण कुमार मिश्र, महामंत्री अखिलेश कुमार पांडेय, पूर्व अध्यक्षगण चंद्रप्रकाश दिवेदी, नरेन्द्र कुमार पाठक ने दीप प्रज्ज्वलित कर वीर शहीदों की व वाग्देवी के चित्र पर माल्यार्पण किया। वाणी वंदना सुधाकर पांडेय स्वदेश प्रेम ने किया। 

कौशल्या कुमारी चौहान कवयित्री ने वीर रस की रचना, खाक कर दूंगी कांटों की हस्ती को मैं, जान मेरी फिदा है वतन के लिए सुनाकर वातावरण राष्ट्र भक्ति का बनाया। दिलीप सिंह दीपक ने, गीत, गजल मिले लफ्ज़ मिले पर, न हकीकत मिली और न सपना मिला है सुनाकर वाहवाही लूटी। संयोजक प्रदुम्न कुमार त्रिपाठी शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट करारी ने, जिनके बदौलत राष्ट्र सुरक्षित मेरी सीमा, जय हिंद वंदेमातरम जरूरत संदेश की सुनाकर ओज का संचार किये। 

संचालन कर रहे शायर अशोक तिवारी ने सारे जहाँ का दर्द शामिल है जिगर में तेरे, जैसे लगता है कि मैं बोल रहा हूँ तुझमें सुनाकर करुणा का भाव रोशन किया। धर्मेश चौहान ने, देश के लिए करो देश के लिए मरो, सच्चा देशभक्त ही भगवान है मेरा सुनाकर देश वंदना किये सराहे गये। सुधाकर पांडेय स्वदेश प्रेम ने, तिरंगे में सजे अर्थी बजे धुन राष्ट्र गीतों की, जनाजा जब मेरा निकले वतन के वास्ते निकले सुनाकर गतिज उर्जा दिये। हास्य कवि सुनील चऊचक ने, बासी भात पर बेना मति हौंका तथा जेबा कटि गल थाने में सुनाकर खूब हंसाते रहे। 

राष्ट्रवाद के सजग प्रहरी प्रभात सिंह चंदेल ने, मेरे मस्तक पर हिंदुस्तान लिख देना सुनाकर भारत भारती को नमन किये करतल ध्वनि से लोगों ने हौसला अफ़ज़ाई किया। लोकभाषा कवि दयानंद दयालू ने, रोइ रोइ बेटी कहे बाबूजी हमार हो सुनाकर नारी की पीर उकेरा। सोन संगीत फाउंडेशन के सुशील मिश्रा ने सस्वर देवी गीत व देश गीत से लोगों का मन मोह लिए। अध्यक्षता करते हुए गीतकार ईश्वर विरागी ने, खत हवाओं ने लिखे थरथराई पत्तियाँ, लाल है सूरज की आंखें भीगी बिल्ली बस्तियाँ सुनाकर जनमन की पीड़ा रेखांकित किये और आयोजन को शीर्ष पर पहुंचाया। 

समाजसेवी कमलेश खांबे द्वारा सभी कवियों का सारस्वत अभिनंदन किया गया। शहीद स्थल करारी की तरफ से अतिथियों का सम्मान किया गया। साहित्य दीप संस्थान प्रमुख दिलीप सिंह दीपक ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर जयशंकर त्रिपाठी, आत्म प्रकाश तिवारी, बबलू दीक्षित, जेबी सिंह, हेमनाथ दिवेदी, संदीप कुमार शुक्ला, देवानंद पांडेय, त्रिपुरारी मिश्रा आदि मौजूद रहे।

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