श्रीरामलीला महोत्सव: रामपुर में भक्ति, कला और संस्कृति का दिव्य संगम

खबर सार :-
रामपुर के उत्सव पैलेस में आयोजित श्रीरामलीला महोत्सव में भक्ति, कला और संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिला। वृंदावन से आए कलाकारों ने रामकथा के प्रसंगों को जीवंत किया। श्रद्धालु देर रात तक डटे रहे। आयोजन ने धार्मिकता के साथ नगर की सांस्कृतिक पहचान को नई ऊंचाई दी।

श्रीरामलीला महोत्सव: रामपुर में भक्ति, कला और संस्कृति का दिव्य संगम
खबर विस्तार : -

रामपुर। रविवार की रात उत्सव पैलेस रामलीला ग्राउंड भक्ति, कला और संस्कृति के रंगों से सराबोर हो उठा। मानो अयोध्या की पावन धरती ही रामपुर में उतर आई हो। श्रद्धा और उत्साह की ऐसी छटा बिखरी कि हर दर्शक देर रात तक वहां से हटने को तैयार ही नहीं था। सुबह का शुभारंभ भगवान श्रीकृष्ण की रास और निकुंज लीलाओं से हुआ। बालकृष्ण की माखन चोरी की नटखट अदाओं ने बच्चों को ठहाकों से भर दिया, वहीं बुजुर्ग भक्ति भाव में डूबकर भाव-विभोर हो उठे। माहौल इतना जीवंत हो गया कि हर किसी को लगा मानो वे स्वयं वृंदावन की गलियों में विचरण कर रहे हों।

रात का भव्य मंचन शाम ढलते ही रामलीला मैदान दैदीप्यमान रोशनी, भजनों और मंत्रोच्चार से जगमगाने लगा। रात 8:30 बजे वृंदावन से आए कलाकारों ने मंच संभाला और बालि वध, मायावी की कथा, सीता जी की खोज, संपाती मिलन और लंका दहन जैसे प्रसंगों को इतने जीवंत अंदाज में प्रस्तुत किया कि दर्शकों की आंखें भर आईं। हर दृश्य पर “जय श्रीराम” के गगनभेदी नारों और तालियों की गूंज ने माहौल को ऊर्जा से भर दिया।

सम्मान और गरिमा आयोजन के दौरान लक्ष्मी नारायण गुप्ता, एसके गुप्ता और शलभ राज गुप्ता को समिति द्वारा शॉल, पुष्पगुच्छ और मोमेंटो भेंटकर सम्मानित किया गया। समिति अध्यक्ष विष्णु शरण अग्रवाल की अगुवाई में अनेक गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को और ऊंचा कर दिया।

आज का मंचन केवल रामकथा का दृश्य नहीं था, बल्कि पूरे नगर के लिए एक आध्यात्मिक उत्सव बन गया। इसमें भक्ति, आस्था और संस्कृति का ऐसा संगम हुआ जिसने दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ दी। यह महोत्सव अब सिर्फ धार्मिक परंपरा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि रामपुर की सांस्कृतिक धरोहर और सामूहिक आस्था का प्रतीक बन चुका है।

कार्यक्रम में अध्यक्ष विष्णु शरण अग्रवाल, महामंत्री वीरेंद्र कुमार गर्ग, सह अध्यक्ष सुनील कुमार गोयल (सोनी ताऊ), सुभाष चन्द्र अग्रवाल (ठेकेदार), ईश्वर सरन अग्रवाल, विनोद कुमार गुप्ता (ठेकेदार), वेद प्रकाश वर्मा, अरविन्द कुमार अग्रवाल, मनोज कुमार अग्रवाल, निर्भय कुमार गर्ग, कमलेश कुमार अग्रवाल (एड.), डॉ. अजय कुमार अग्रवाल, अरुण कुमार अग्रवाल, राम प्रताप सर्राफ, अनिल कुमार चौरसिया, राजीव सरन गर्ग, विनीत कुमार अग्रवाल, शान्ति शरण राठौड़, हरिओम गुप्ता, मनोज कुमार अग्रवाल, श्रीराम अग्रवाल, रविन्द्र कुमार मिश्रा, संजय अग्रवाल और डॉ. सुमित कुमार गोयल समेत कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व मौजूद रहे।

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