रामपुर में पत्रकार वार्ता में जगतगुरु शंकराचार्य गो हत्या को लेकर जमकर बरसे

खबर सार :-
गोहत्या पर बोले शंकराचार्य: भारत बना सबसे बड़ा गोमांस निर्यातक, जनता से की अपील—"करें जो गौमाता पर चोट, कैसे दें हम उसको वोट"।

रामपुर में पत्रकार वार्ता में जगतगुरु शंकराचार्य गो हत्या को लेकर जमकर बरसे
खबर विस्तार : -

रामपुरः जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने गौ-हत्या के मामले में भारत का विश्व में पहला स्थान है। उन्होंने कहा कि गौ-रक्षा के लिए आजादी से पहले बने कानून आज तक लागू नही हुए। उन्होंने गौ रक्षा को लेकर एक नारा दिया “करें जो गौमाता पर चोट कैसे दे हम उसको वोट”। उन्होंने कहा अपने मताधिकार से ही देश में गौ माता की स्थिति को बदल सकते हैं। रामपुर के बिलासपुर क्षेत्र में दोपहर बाद गुजरैला गांव स्थित मंगलधाम में माता महाकाली, महासरस्वती और खाटू श्याम बाबा की प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान वे पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि वे सरकारों की गोशाला योजनाओं से संतुष्ट नहीं हैं, इसलिए चार हजार से अधिक गोधामों के निर्माण की योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि अगर हम पहले से ही संतुष्ट होते तो खुद गोधाम बनवाकर उन्हें संचालित करने की ज़रूरत ही क्यों पड़ती? उन्होंने कहा सरकारों ने जो प्रयास किए थे वह पूरी तरह से असफल होते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा जो भारत में रहने वाले मूल भारतीय है,उनकी संस्कृति का केंद्र गाय रही है। भारत की सरकार उसके प्रति उपेक्षा का भाव दिखा रही है। इतना ही नहीं गोमांस और गो-हत्या को हम स्वीकार नही करेंगे। इसके बावजूद सरकारों ने गौहत्या को रोकने के गम्भीर प्रयास नहीं किए। उन्होंने कहा पूरे विश्व में गौ-हत्या का निर्यात करने वाले देशों में भातर पहले स्थान पर है। “गो-मतदाता बनें” वाले सवाल पर बोले कि यह कोई कार्य योजना नही है। हम गो-प्रतिष्ठा आंदोलन चला रहे हैं। 

आजादी के पहले से ही गायों को सुरक्षित रखना चाहते थे। उन्होंने कहा कि देश से अंग्रेजों को भगाया गया तो, केवल इसलिए कि उन्होंने गो-हत्या आरम्भ कर दिया था।  इस देश की कहा गया था आजादी होते ही पहली कलम से गोहत्या बंदी हम करेंगे।  नेताओं के वो वायदे सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गए। आज हालत ये है कि जब जनता गो-हत्या के खिलाफ आवाज उठाती है तो कोई सुनता नहीं। आंदोलन किया जाता है तो जवाब में गोली चला दी जाती है। लोग अनशन करते हैं, पदयात्रा निकालते हैं, लेकिन अब सरकारों के सामने जनता की बात सुनने की नीति जैसे पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। बोले, ऐसे में जनता क्या करे? इसीलिए उन्होंने यह नारा दिया- करें जो गौमाता पर चोट, कैसे दें हम उसको वोट?  बोले, अब यह हमारी मजबूरी बन गई है।

धार्मिक दृष्टि से भी उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपराधी का समर्थन करता है, वह स्वयं भी पाप का भागी होता है। जो नेता हमारे वोट से जीतकर संसद या विधानसभा में जाते हैं और वहां गोरक्षा पर कानून नहीं बनाते, उल्टा गो-हत्या को बढ़ावा देते हैं। तो हमारे वोट से जीतकर वहां जाकर वे जो कर रहे हैं, उसका दोष हम पर भी आता है। इसलिए, अब हम भी यह तय कर चुके हैं कि केवल उसी प्रत्याशी या पार्टी को वोट देंगे जो गोमाता की रक्षा के लिए खड़ा हो। उन्होंने अंत में कहा कि हमारा आंदोलन तेज़ हो रहा है, क्योंकि हम अपने मताधिकार से देश की तस्वीर बदल सकते हैं और अब यही हमारी प्राथमिकता है।

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