सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट ना करें, पुलिस अधीक्षक ने किया लोगों को जागरूक

खबर सार :-
पुलिस अधीक्षक ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सावधानी बरतें और किसी भी प्रकार की गलत या भड़काऊ सामग्री साझा न करें। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि ऐसी गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस पहल का उद्देश्य समाज में शांति और सद्भाव को बनाए रखना है।

सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट ना करें, पुलिस अधीक्षक ने किया लोगों को जागरूक
खबर विस्तार : -

शाहजहांपुर :आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया हमारे विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने का सबसे तेज़ और सशक्त माध्यम बन चुका है। लेकिन प्रायः देखा जा रहा है कि कुछ नौजवान एवं बच्चे नासमझी में जातिगत, धार्मिक या आपत्तिजनक पोस्ट कर देते हैं, जिनसे किसी वर्ग या धर्म विशेष की भावनाएँ आहत होती हैं। ऐसा करने वाले को यह ज्ञात नहीं होता कि यह कृत्य भारतीय कानून के अंतर्गत गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है और इसका सीधा असर उनके भविष्य पर पड़ सकता है। 

कानून और दंड का प्रावधान 

भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 के अंतर्गत  

धारा 196 (धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला कार्य) किसी धर्म या आस्था के प्रति अपमानजनक टिप्पणी करना अपराध है। 

 धारा 197 (वैमनस्य फैलाने वाला कार्य) जातिगत, धार्मिक या साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाने वाले पोस्ट या बयान दंडनीय हैं। 

 धारा 354 (सार्वजनिक व्यवस्था भंग करना) –* सोशल मीडिया के माध्यम से नफरत फैलाने की कोशिश पर कड़ी सजा का प्रावधान है। 

आईटी एक्ट 2000 की धारा 67 के तहत ऑनलाइन अश्लील, आपत्तिजनक सामग्री प्रसारित करना दंडनीय अपराध।

इन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर कारावास, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। 

संविधान और मूल अधिकारों का सम्मान

भारतीय संविधान हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) प्रदान करता है, परंतु यह स्वतंत्रता अत्यंत जिम्मेदारी के साथ प्रयोग की जानी चाहिए। 

• कोई भी अभिव्यक्ति जो किसी वर्ग, जाति या धर्म की भावनाओं को ठेस पहुँचाती है, वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं बल्कि कानून का उल्लंघन है। 

• समाज में शांति और भाईचारे को बनाए रखना हर नागरिक का संवैधानिक कर्तव्य है। 

दुष्परिणाम 

• पुलिस केस दर्ज होने पर व्यक्ति का क्रिमिनल रिकॉर्ड बन जाता है, जो भविष्य में सरकारी नौकरी, वीजा या अन्य अवसरों में बाधा डाल सकता है। 

• सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री का स्थायी डिजिटल रिकॉर्ड रहता है, जो जीवनभर व्यक्ति की छवि को प्रभावित कर सकता है। 

• सामाजिक बहिष्कार और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। 

• पोस्ट करने से पहले सोचें कि क्या यह किसी की भावनाओं को आहत कर सकती है। 

• सोशल मीडिया का उपयोग सकारात्मक, रचनात्मक और प्रेरणादायक सामग्री के लिए करें। 

• फेक न्यूज या भड़काऊ पोस्ट को शेयर न करें, बल्कि संबंधित प्लेटफ़ॉर्म पर रिपोर्ट करें। 

• बच्चों को सोशल मीडिया को जिम्मेदारी से उपयोग करना सिखाये ।  

क्या न करें:

• जातिगत, धार्मिक या किसी वर्ग विशेष के विरुद्ध टिप्पणी न करें। 

• अफवाह, नफ़रत या हिंसा फैलाने वाले संदेश न डालें। 

• किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत गरिमा या धर्म पर आक्रमण करने वाले मीम, वीडियो या फोटो पोस्ट न करें।

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