लखनऊ, नगर निगम के बड़े अधिकारी भी आंखों में धूल झोंक रहे हैं। सीवर और पेयजल से संबंधित लोगों की शिकायतों को निपटाने का आश्वासन तो दे रहे हैं, लेकिन वह असली समस्याओं की नस पकड़ने से बच रहे हैं। उनको मालूम है कि कहां पानी की समस्या है और कहां पर सीवर लाइन में किसी भी प्रकार की दिक्कत है। इसके बाद भी वह निरीक्षण करने पहुंच रहे हैं। एक दो नहीं कई ऐसे मामलों की इंडिया पब्लिक खबर ने पड़ताल की तो पता चला कि अधिकारियों को मामले की पूरी जानकारी है।
मजेदार बात यह है कि जिन नगर निगम और एलडीए से संबंधित बस्तियों में अभी से लोगों ने रहना शुरू किया, वहां की सीवर लाइन ठप है। जलकल महाप्रबंधक दो दिन से अपनी सक्रियता तो दिखा रहे हैं, लेकिन वह बड़ी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। उनको जब मालूम है कि कमी कहां है तो फिर वह निरीक्षण का स्वांग क्यों रच रहे हैं? सदरौना की कांशीराम कालोनी जोन छह में है। यहां सीवर लाइन है। वर्तमान में यह ठप है। सुबह जब पानी की सप्लाई होती है तो लोगों के घरों से निकलने वाला पानी सड़कों पर भर जाता है।
वैसे तो कालोनी की दो सड़कें कीचड़ और गंदे पानी से भरी हुई हैं। जलकल महाप्रबंधक और जोन प्रभारी को यह जानकारी है। चौकाने वाली बात तो यह है कि महापौर ने इस समस्या के निदान के लिए आदेश दिए थे, लेकिन मामले का निस्तारण नहीं किया जा सका। कई दिनों तक तो जलकल और जलनिगम एक दूसरे की ओर परेशानी खिसकाना चाह रहे थे। दो दिन तक क्षेत्र को लेकर विवाद चला, अंततः जब अधिकारियों का निरीक्षण पूरा हुआ तो लोग इंतजार करने लगे कि समस्या जल्द दूर कर ली जाएगी। लेकिन छह माह बाद भी वही हाल है। इधर, शुद्ध जलापूर्ति सुनिश्चित करने और सीवर की समस्याओं को दूर करने के लिए जलकल महाप्रबंधक ने स्वेज इंडिया से एक मामले को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है।
भीषण गर्मी और ग्रीष्मकालीन जल संकट की संभावना को देखते हुए जलकल द्वारा शहरभर में स्वच्छ और नियमित जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में महाप्रबंधक जलकल कुलदीप सिंह ने बुधवार को नगर के विभिन्न क्षेत्रों का निरीक्षण किया था। गुरूवार को सुबह पीजीआई के पीछे बनाए गए प्रधानमंत्री आवास के फ्लैट वाले क्षेत्र में लोग हल्ला करने लगे। पता चला कि लोग जहां रहने आए, वहां का सीवर लाइन पहले से ही बंद है। जोन आठ में इसकी शिकायत की गई है। जलकल में आईजीआरएस (जन शिकायत निवारण प्रणाली), कंट्रोल रूम और अन्य माध्यमों से प्राप्त शिकायतों की समीक्षा की जा रही है। इसमें यह पाया गया कि जोन-3, जोन-6 और जोन-7 में सीवर से जुड़ी शिकायतों का समय से निस्तारण नहीं हो रहा है, जिससे आमजन को परेशानी हो रही है। इस पर महाप्रबंधक ने संबंधित अधिशासी अभियंताओं और स्वेज इंडिया से स्पष्टीकरण तलब किया है।
उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि शिकायतों के निस्तारण में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जवाबदेही तय की जाएगी। जोन-7 के अवर अभियंता विक्रम सिंह द्वारा निर्देशों की अवहेलना करते हुए बुधवार को निरीक्षण नहीं किया गया। इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए महाप्रबंधक ने उनके एक दिन का वेतन काटने का आदेश जारी किया है। इसी तरह से जलापूर्ति को निर्बाध रूप से जारी रखने के लिए जोन-5 एवं जोन-8 के अवर अभियंता देवेंद्र बहादुर सिंह की पांच दिन की स्वीकृत छुट्टी को निरस्त कर दिया गया है। कुलदीप सिंह ने यह भी कहा कि विभागीय अधिकारियों को जनता की सेवा भावना के साथ कार्य करना चाहिए। जल संकट की स्थिति में त्वरित रिस्पॉन्स और सतर्क निगरानी ही समाधान का मार्ग है। निरीक्षण के अंत में उन्होंने समस्त अभियंताओं को सख्त हिदायत दी कि वे नियमित फील्ड विजिट करें, टैंक व नलों की सफाई, लीकेज की मरम्मत और जल की गुणवत्ता की जांच पर विशेष ध्यान दें।
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