राइस मिलर्स लगा रहे सरकार को करोड़ों का चूना, औने-पौने दामों में खरीद रहे किसानों का धान

खबर सार :-
शाहजहांपुर के बंडा मंडी में राइस मिलर्स और बिचौलियों द्वारा किसानों से धान की खरीदी में बड़ा घोटाला सामने आया है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से बहुत कम दाम दिए जा रहे हैं। इससे सरकार को करोड़ों का राजस्व नुकसान हो रहा है और प्रशासन पूरी तरह से निष्क्रिय बना हुआ है।

राइस मिलर्स लगा रहे सरकार को करोड़ों का चूना, औने-पौने दामों में खरीद रहे किसानों का धान
खबर विस्तार : -

 शाहजहांपुर: जनपद के बंडा मंडी और आसपास के क्षेत्रों में राइस मिल मालिकों और बिचौलियों द्वारा किसानों से धान की खरीद में भारी अनियमितताएं सामने आ रही हैं। किसानों का आरोप है कि जहां सरकार ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2369 Rs. से 2389 Rs.प्रति कुंतल तय किया है, वहीं व्यापारी किसानों को गुमराह कर 1350 Rs.से 1700 Rs. प्रति कुंतल तक ही भुगतान कर रहे हैं।

बिचौलियों का दबदबा, प्रशासन मौन

पुवाया रोड, खुटार रोड, पूरनपुर मार्ग और मकसूदापुर स्थित बजाज हिंदुस्तान शुगर मिल तक फैले इलाके में बिचौलियों का खुला बोलबाला है। किसानों का कहना है कि मंडी में किसी प्रकार की सरकारी निगरानी नहीं है और प्रशासनिक अधिकारियों ने इस समस्या से आंखें मूंद रखी हैं। किसानों का आरोप है कि स्थानीय राइस मिलर्स और व्यापारी मंडी से धान खरीद कर बाहर के बाजारों में ऊंचे दामों पर बेचते हैं, जिससे न केवल किसानों को नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकार को भी करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना लग रहा है।

बंडा और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों ने कहा कि वे अपने खून-पसीने से उपजाए गए धान को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं, क्योंकि मंडी में सरकारी खरीद केंद्र सक्रिय नहीं हैं और व्यापारी संगठित रूप से किसानों को न्यूनतम मूल्य से वंचित कर रहे हैं।  किसानों को समर्थन मूल्य न दिए जाने से सरकारी खरीद प्रणाली कमजोर हो रही है और सरकारी गोदामों में धान की उपलब्धता घट रही है। इससे सरकार को न केवल खरीद लक्ष्य में कमी झेलनी पड़ रही है, बल्कि आर्थिक घाटा भी बढ़ रहा है।

कार्रवाई की मांग तेज

किसानों और क्षेत्रीय संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि मंडियों में सरकारी खरीद केंद्रों को तुरंत सक्रिय किया जाए, और जो व्यापारी न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे खरीददारी कर रहे हैं, उन पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, यह भी मांग की जा रही है कि मंडी परिसर में सीसीटीवी निगरानी, मोबाइल स्क्वाड और रेट लिस्ट की अनिवार्य सार्वजनिक जानकारी की व्यवस्था की जाए ताकि किसानों को न्याय और पारदर्शिता मिल सके।

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