रामपुर : रज़ा पुस्तकालय एवं संग्रहालय के निदेशक डॉ. पुष्कर मिश्र ने पुस्तकालय परिसर स्थित रंग महल सभागार में आयोजित एक प्रेस वार्ता में अपनी हाल ही में सम्पन्न रूस यात्रा की विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि यह यात्रा भारत-रूस के मध्य सांस्कृतिक सहयोग को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल सिद्ध हुई है।
इस अवसर पर डॉ. पुष्कर मिश्र ने रूस के प्रतिष्ठित शैक्षिक एवं सांस्कृतिक संस्थानों के साथ हुई चर्चा, भारत की प्राचीन ज्ञान-परंपरा को लेकर मिली सकारात्मक प्रतिक्रियाओं तथा संभावित शैक्षणिक साझेदारियों पर प्रकाश डाला।
डॉ. पुष्कर मिश्र ने अपने व्याख्यान के दौरान रामपुर रज़ा पुस्तकालय की भावी योजनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि पुस्तकालय अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ब्लॉकचेन और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से ज्ञान को नई पीढ़ी तक पहुँचाने की दिशा में अग्रसर है। विशेष रूप से उन्होंने संवाद पुस्तक अथवा बोलती किताब की अवधारणा को साझा किया, जिसे वैश्विक विद्वानों ने अत्यंत नवीन और चमत्कारी बताया।
यह विश्व में अपनी तरह का पहला प्रयास होगा जहाँ पाठक न केवल पुस्तक की सामग्री को सुन सकेंगे, बल्कि AI के माध्यम से लेखक से संवाद का अनुभव भी कर सकेंगे। यह प्रयोग पुस्तकालय अध्ययन और पठन-पाठन की दिशा में क्रांतिकारी साबित हो सकता है। रूस में उपस्थित विश्व के विभिन्न पुस्तकालयों के प्रमुखों ने इसमें गहरी रुचि दिखाई।
रूसी राज्य पुस्तकालय के महानिदेशक वादिम दूदा द्वारा यूक्रेन की स्थिति की तुलना कश्मीर से किए जाने पर रामपुर रज़ा पुस्तकालय के निदेशक डॉ. पुष्कर मिश्र ने गहरी आपत्ति जताई। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कश्मीर में कोई समस्या न पहले थी, न अब है और न भविष्य में होगी। वास्तविक समस्या पाकिस्तान है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मज़हबी आतंक का जनक और निर्यातक है। डॉ. पुष्कर मिश्र ने ज़ोर देकर कहा कि पाकिस्तान मज़हबी आतंकियों का राज्य है जिसके न्यूक्लियर अस्त्र सम्पन्न होने से सम्पूर्ण मानव जाति के लिए एक गंभीर संकट है। रूस स्वयं चेचन्या में इस संकट का सामना कर चुका है, और विश्व के 60 से अधिक देश इस आतंक की आग में जल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से किसी भी प्रकार का सम्बन्ध या उसका पोषण चाहे वह आर्थिक हो या राजनीतिक, मज़हबी आतंक का सबलीकरण है। भारत और रूस को, जो दशकों से हर मौसम के मित्र रहे हैं, अब इस वैश्विक खतरे से निपटने के लिए साझा नेतृत्व की भूमिका निभानी चाहिए। हमें एक ऐसा भविष्य सुनिश्चित करना होगा जो हमारे बच्चों के लिए सुखद, समृद्ध और शान्तिपूर्ण हो।
डॉ. पुष्कर मिश्र ने यह भी कहा कि रूस को भारत-चीन तथा भारत-पाकिस्तान संबंधों पर अपनी नीति स्पष्ट करनी चाहिए ताकि भारत और रूस की मैत्री और भी दृढ़ तथा दीर्घजीवी बन सके। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि अकादमिक जगत और आने वाली पीढ़ियों को मज़हबी आतंक की विचारधारा से लड़ने के लिए तैयार करना समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। तभी हम एक सुखद, समृद्ध एवं शांतिपूर्ण विश्व का निर्माण कर सकेंगे।
डॉ. पुष्कर मिश्र के तर्कों को स्वीकार करते हुए, श्री दूदा ने अपने वक्तव्य में सुधार किया और पाकिस्तान को मज़हबी आतंकवाद का जनक तथा इसे मानवता के लिए गंभीर संकट बताया। कहा कि समस्या कश्मीर नहीं बल्कि पाकिस्तान जनित मज़हबी आतंक है।
प्रेस वार्ता के समापन पर डॉ. पुष्कर मिश्र ने आशा व्यक्त की कि रामपुर रज़ा पुस्तकालय द्वारा आयोजित सभी कार्यक्रम समाज को ज्ञान, संस्कृति एवं जीवन-मूल्यों से जोड़ने में सफल सिद्ध हो रहे हैं। उन्होंने गत माह के सभी आयोजनों की सफलता में सहयोग हेतु पत्रकारों, बुद्धिजीवियों एवं नागरिकों का आभार व्यक्त किया।
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