प्राइवेट स्कूल पर मनमानी का गंभीर आरोप, अभिभावकों ने काटा हंगामा

खबर सार :-
अभिभावकों ने रामपुर स्थित एक स्कूल पर मनमानी का आरोप लगते हुए गेट पर जमकर हंगामा किया। उनका कहना है इतनी महंगी फीस भरने के बाद भी स्कूल की व्यस्थाएं और पढ़ाई पूरी तरह से बेकार है। साथ ही अभिभावक इसकी शिकायत लेकर जिला मजिस्ट्रेट के पास जाने की तैयारी में हैं।

प्राइवेट स्कूल पर मनमानी का गंभीर आरोप, अभिभावकों ने काटा हंगामा
खबर विस्तार : -

रामपुरः शहर के प्रसिद्ध नारायण ई-टेक्नो स्कूल में इन दिनों शिक्षा से ज़्यादा शिकायतें हावी हैं। गुरुवार को अभिभावकों ने स्कूल के गेट पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। गुस्साए अभिभावकों का कहना है कि पिछले दो महीनों से स्कूल का मैदान उनके बच्चों की पढ़ाई का केंद्र बन गया है, न कि कक्षाएँ। बच्चे स्कूल यूनिफॉर्म में तो आते हैं, लेकिन किताबों से ज़्यादा फुटबॉल और क्रिकेट खेलते हैं।

हर साल 50 से 60 हजार भरते हैं फीस

अभिभावकों का आरोप है कि वे हर साल 50 से 60 हज़ार रुपये फीस देते हैं, लेकिन बदले में स्कूल उन्हें छुट्टी और बंद दरवाज़े देता है। किसी दिन शिक्षक अनुपस्थित रहते हैं, तो किसी दिन प्रधानाचार्य। हालात इतने बदतर हैं कि जब अभिभावक जवाब मांगने स्कूल पहुँचते हैं, तो उन्हें न तो प्रधानाचार्य मिलते हैं और न ही कोई प्रशासनिक कर्मचारी, मानो स्कूल में ही छुट्टी हो! एक अभिभावक ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि अगर स्कूल का नाम बदलकर ग्राउंड टेक्नो कर दिया जाए, तो शायद यह नाम उम्मीदों पर खरा उतरेगा।

सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह लचर

अभिभावकों ने बताया कि स्कूल की मान्यता संदिग्ध है और इस बारे में किसी को भी स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। इसके अलावा, बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ढीली है। एक अभिभावक ने बताया कि जब वे अपने बच्चे को लेने पहुँचे, तो गेट पर कोई सुरक्षा गार्ड मौजूद नहीं था। वे आसानी से अंदर गए और बच्चे को लेकर बाहर निकल आए। उन्होंने इसके बारे में कहा कि अगर कोई बदनीयत से किसी बच्चे का अपहरण कर ले, तो कौन ज़िम्मेदार होगा ?

 ज़िला मजिस्ट्रेट से करेंगे शिकायत

अभिभावकों का कहना है कि अब वे इस पूरे मामले की शिकायत रामपुर के ज़िला मजिस्ट्रेट से करेंगे और स्कूल प्रबंधन के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की माँग करेंगे।  देश नई शिक्षा नीति की चर्चाओं में डूबा हुआ है, तो वहीं नारायण ई-टेक्नो स्कूल जैसे संस्थान शिक्षा को खेल के मैदान में बदल रहे हैं—न पढ़ाई, न शिक्षक, सिर्फ़ फ़ीस और धोखाधड़ी।
 

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