रामपुरः भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष हरीश गंगवार ने कहा कि युवाओं को महाराणा प्रताप के जीवन से धर्म और राष्ट्र रक्षा की सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कभी मुगलों के आगे घुटने नहीं टेके। वह वर्षों तक जंगलों में भटकते रहे। राजा होने के बाद भी उन्होंने घास की रोटियां खाकर जीवन गुजार दिया, लेकिन कभी आत्मसमर्पण नहीं किया। वह त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति थे।
मिलक के गांव जिवाई जदीद में महाराणा प्रताप की जयंती बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। जिला अध्यक्ष हरीश गंगवार ने महाराणा प्रताप के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने महाराणा प्रताप की वीरता, त्याग, समर्पण और राष्ट्र रक्षा के संकल्प के बारे में सभी को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा भी था जब अकबर ने महाराणा प्रताप को कई संदेश भेजकर आत्मसमर्पण करने को कहा था।
अकबर का सपना महाराणा प्रताप को बंदी बनाने का था, लेकिन उसका सपना पूरा नहीं हो सका। महाराणा प्रताप ने अपने पराक्रम और शौर्य के बल पर हल्दीघाटी के युद्ध में मुगलों का न सिर्फ कत्लेआम किया, बल्कि मुगल सेना के कब्जे में भी नहीं आ सके। राजा होने के बावजूद उन्होंने अपना काफी समय जंगलों में भटकते हुए बिताया।
उन्होंने घास की रोटियां खाईं। उन्होंने युवाओं से महाराणा प्रताप के जीवन से प्रेरणा लेने और अखंड भारत में योगदान देने की अपील की। इस अवसर पर पूर्व विधायक ज्वाला प्रसाद गंगवार, हरपाल गंगवार, सरवन ठाकुर, अजीत ठाकुर, विवेक ठाकुर, सोमनाथ ठाकुर, योगेंद्र ठाकुर, शेखर ठाकुर, सौरभ ठाकुर, गौरव ठाकुर आदि मौजूद रहे।
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