निजीकरण के विरोध में अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार, सामूहिक जेल भरो आंदोलन करेंगे बिजली कर्मचारी

खबर सार :-
यूपी में दो बिजली कम्पनियों के निजीकरण को लेकर ऊर्जा प्रबंधन और बिजली कर्मचारियों के बीच टकराहट बढ़ती जा रही है। ऊर्जा प्रबंधन निजीकरण करने पर अड़ा हुआ है तो बिजली कर्मचारी विरोध में जेल भरो आंदोलन तक का फैसला कर चुके हैं। बिजली महापंचायत में सभी विभागों के कर्मचारियों, किसानों, उपभोक्ताओं ने बिजली कर्मचारियों के विरोध को समर्थन देने का निर्णय लिया है।

निजीकरण के विरोध में अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार, सामूहिक जेल भरो आंदोलन करेंगे बिजली कर्मचारी
खबर विस्तार : -

लखनऊ : यूपी की दो बिजली कम्पनियों पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के खिलाफ सभी कर्मचारी और किसान एक मंच पर आ गए हैं। बिजली कम्पनियों के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारी, रेलवे कर्मचारी, सरकारी विभागों के कर्मचारी, किसान और उपभोक्ता एकजुट होकर बड़ा आंदोलन करेंगे। दोनों डिस्कॉम के टेंडर जारी होते ही बिजली कर्मचारी अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार के साथ सामूहिक रूप से जेल भरो आंदोलन शुरू करेंगे। रविवार को आयोजित की गई बिजली महापंचायत में यह फैसला लिया गया है।

महापंचायत में वक्ताओं ने बिजली कम्पनियों के निजीकरण के फैसले को जन विरोधी कदम बताते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की। वक्ताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि निजीकरण के विरोध में संघर्ष कर रहे बिजली कर्मचारियों का उत्पीड़न और दमन किया गया तो किसान, मजदूर और आम उपभोक्ता खामोश नहीं बैठेंगे। सभी एक जुट होकर सड़कों पर उतरकर बड़े पैमाने पर जन आंदोलन चलाने को विवश होंगे। आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के राष्ट्रीय महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने कहा कि यूपी में बिजली कर्मचारियों पर निजीकरण थोपा गया तो सारे देश के रेलवे कर्मी, बिजली कर्मचारियों के साथ जेल भरो आंदोलन करेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. दर्शन पाल ने बिजली कर्मचारियों को सभी किसान संगठनों की ओर से खुला समर्थन देने का ऐलान किया। वक्ताओं ने यूपीपीसीएल में बड़े पैमाने पर किए गए ट्रांसफर के पीछे भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। सीएम योगी से इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग भी की गई। महापंचायत में संकल्प लिया गया कि दोनों डिस्कॉम के निजीकरण का फैसला जब तक वापस नहीं लिया जाता है, तब तक जन आंदोलन जारी रहेगा। वक्ताओं ने पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण के पीछे बड़ा भ्रष्टाचार करने की बात कही।

महापंचायत में आगामी 09 जुलाई को निजीकरण के विरोध में देश के सभी बिजली कर्मियों द्वारा एक दिन की राष्ट्रव्यापी सांकेतिक हड़ताल करने का निर्णय लिया गया। इसके पूर्व दो जुलाई को देश भर के बिजली कर्मचारी निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। महापंचायत में राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से बिजली सार्वजनिक क्षेत्र में रहना आवश्यक है, का प्रस्ताव भी पारित किया गया। वक्ताओं ने कहा कि निजीकरण के बाद बहुराष्ट्रीय निजी कम्पनियों के आने से देश की बिजली ग्रिड सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। महापंचायत को किसान नेता जय प्रकाश, डा. आशीष मित्तल, मुकुट सिंह, अनुज टिकारा ने भी संबोधित किया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों संजय सिंह चौहान, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय आदि ने भी विचार व्यक्त किए। 

पावर आफिसर्स एसोसिएशन देगा समर्थन 

उप्र पावर आफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आरपी केन ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति को पूरा समर्थन देने का ऐलान किया है। निजीकरण के विरोध में पावर आफिसर्स एसोसिएशन भी बिजली कर्मियों के साथ एकजुट होकर आंदोलन करेगा। विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक रमानाथ झा, नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स के संयोजक सुदीप दत्त, आल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आरके त्रिवेदी, आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के एके जैन के अलावा राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, राज्य कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों ने निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों के साथ एकजुट होकर आंदोलन करने का ऐलान किया। 
 

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