पीलीभीत : टाइगर रिजर्व में शनिवार का दिन वन्यजीव संरक्षण के लिहाज से बेहद भावुक और महत्वपूर्ण रहा, जब जन्म के कुछ ही घंटों बाद अपनी मां से बिछुड़ गया नन्हा हाथी अब एक सुरक्षित आशियाने में पहुंच गया। बिजनौर जनपद की बढ़ावपुर वन रेंज में जन्मा यह 18 दिन का हाथी का बच्चा अब पीलीभीत टाइगर रिजर्व में विशेषज्ञों की निगरानी में नई जिंदगी की शुरुआत कर रहा है। पूरा मामला बिजनौर की बढ़ावपुर वन रेंज की रामजीवाला बीट से जुड़ा है, जहां 2 दिसंबर को जंगल में एक हथिनी ने बच्चे को जन्म दिया था। जन्म के कुछ समय बाद ही दुर्भाग्यवश नन्हा करभ जंगल में बने एक गड्ढे में लुढ़ककर गिर गया। इसी दौरान हथिनी की आवाज पास के जंगल क्षेत्र में सुनी गई, लेकिन वह दोबारा बच्चे के पास लौटकर नहीं आई।
घटना की जानकारी पास के जंगल में रह रहे वन गुर्जरों ने दी, जिन्होंने गड्ढे में गिरे बच्चे और हथिनी की आवाज सुनकर तुरंत वन विभाग को सूचित किया। सूचना मिलते ही वनकर्मियों की टीम मौके पर पहुंची और कड़ी मशक्कत के बाद दुधमुंहे हाथी को सुरक्षित बाहर निकाला गया। हालांकि, उस समय हथिनी वहां मौजूद नहीं थी। रेस्क्यू के बाद वन विभाग ने मां और बच्चे को मिलाने के हरसंभव प्रयास किए। अलग-अलग टीमों का गठन कर कई दिनों तक जंगलों में हथिनी की तलाश कराई गई। बच्चे को उसी इलाके में रखा गया, ताकि मां लौटकर उसे अपना सके। दो बार हथिनी बच्चे के पास आई भी, लेकिन हर बार बिना अपनाए वापस लौट गई। तमाम कोशिशों के बावजूद मां और बच्चे का मिलन नहीं हो सका।
मां से बिछड़ने के बाद नन्हे हाथी की देखभाल वन रेंज में ही की गई। पशु चिकित्सकों की निगरानी में उसे नियमित रूप से दूध पिलाया गया, ठंड से बचाव के इंतजाम किए गए और हर पल उसकी सेहत पर नजर रखी गई। लेकिन बच्चे की उम्र और भविष्य को देखते हुए वन विभाग के उच्चाधिकारियों ने उसके बेहतर पालन-पोषण के लिए उसे पीलीभीत टाइगर रिजर्व भेजने का निर्णय लिया। शनिवार को बढ़ावपुर रेंज के वन क्षेत्राधिकारी रमेश सिंह और वनकर्मियों ने भावुक माहौल में हाथी के बच्चे को विदाई दी। फूल-मालाएं पहनाकर नन्हे करभ के नए सफर के लिए शुभकामनाएं दी गईं। इसके बाद उसे सुरक्षित वाहन से पीलीभीत टाइगर रिजर्व लाया गया। पीलीभीत पहुंचने पर नन्हे हाथी के स्वागत की विशेष व्यवस्था की गई। माला रेंज में बने विशेष बाड़े में उसे रखा गया है, जहां पीटीआर के पशु चिकित्सक डॉ. दक्ष गंगवार की निगरानी में 24 घंटे उसकी देखभाल हो रही है। विशेषज्ञों की टीम उसकी शारीरिक गतिविधियों, शरीर के तापमान और आहार पर लगातार नजर रख रही है। चूंकि करभ अभी बेहद छोटा है, इसलिए उसकी सेहत को लेकर कोई जोखिम नहीं लिया जा रहा।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि हाथी के बच्चे का पालन-पोषण बिल्कुल मानव शिशु की तरह किया जाता है। मां के दूध के विकल्प के तौर पर उसे विशेष फॉर्मूला डाइट दी जा रही है। इसके लिए एक समर्पित टीम तैनात की गई है, जो समय-समय पर उसकी स्थिति की रिपोर्ट तैयार कर रही है। अब यह नन्हा हाथी पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पहले से मौजूद हाथियों निसर्गा, सूर्या, मणिकांत और भीम के साथ रहेगा। रिजर्व में हाथियों की देखरेख के लिए पहले से ही बेहतर व्यवस्थाएं मौजूद हैं। वन विभाग का प्रयास है कि यह करभ सुरक्षित और प्राकृतिक माहौल में बड़ा हो, ताकि उसे भविष्य में किसी तरह की कमी महसूस न हो।
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