बरखेड़ा ब्लॉक में सामुदायिक शौचालय बदहाल, सरकारी खर्च के बावजूद ग्रामीणों को नहीं मिल रहा लाभ

खबर सार :-
विकास के नाम पर सिर्फ ऊपरी काम किया जा रहा है। सरकार इतना पैसा खर्च करने के बावजूद भी गांवों में असल में विकास नहीं हो रहा है। जिसकी वजह से आम जन को परेशानी उठानी पड़ रही है।

बरखेड़ा ब्लॉक में सामुदायिक शौचालय बदहाल, सरकारी खर्च के बावजूद ग्रामीणों को नहीं मिल रहा लाभ
खबर विस्तार : -

पीलीभीत: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच की समस्या को समाप्त करने के उद्देश्य से गांव-गांव में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया गया। इन शौचालयों पर सरकार द्वारा लाखों रुपये खर्च किए गए, साथ ही उनकी देखरेख और साफ-सफाई के लिए केयरटेकर भी नियुक्त किए गए हैं, जिन्हें हर महीने मानदेय दिया जा रहा है। इसके बावजूद कई जगहों पर इन शौचालयों की हालत बद से बदतर बनी हुई है।

ग्रामीणों को नहीं मिल रहा लाभ

पीलीभीत ज़िले के बरखेड़ा ब्लॉक की देहुना पिपरैया ग्राम पंचायत के पट्टी गांव में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है। गांव में बना कम्युनिटी टॉयलेट सेंटर खराब हालत में है। गांव वालों का कहना है कि टॉयलेट सेंटर की न तो रेगुलर सफाई होती है और न ही बेसिक सुविधाएं हैं, जिसकी वजह से गांव वाले इसका फायदा नहीं उठा पा रहे हैं।

गांव वालों के मुताबिक, कई टाइल्स और टॉयलेट सीट टूटी हुई हैं। कोई पानी का पंप नहीं लगा है, न ही पानी की कोई दूसरी व्यवस्था है। टॉयलेट के अंदर और आसपास गंदगी फैली हुई है, जिससे बदबू आती है। इन हालातों में गांव वाले टॉयलेट इस्तेमाल करने से कतराते हैं और खुले में शौच करने को मजबूर हैं।

जमीनी स्तर पर नहीं हो रहा कोई काम

सबसे चिंताजनक बात यह है कि शौचालय की देखरेख के लिए सरकार द्वारा केयरटेकर की नियुक्ति की गई है और उन्हें नियमित रूप से वेतन भी दिया जा रहा है, फिर भी सफाई और रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। इससे ग्रामीणों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि गांव में विकास के नाम पर केवल औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं और जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्य नहीं हो रहा।

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और संबंधित विभाग से मांग की है कि सामुदायिक शौचालय केंद्र की तत्काल मरम्मत कराई जाए, टूटी सीटों और टाइलों को बदला जाए तथा पानी और सफाई की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। साथ ही लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि सरकार की महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत योजना का वास्तविक लाभ ग्रामीणों तक पहुंच सके।

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