पीलीभीत के रामनगरिया में अधूरा श्मशान घाटः ग्रामीण अंतिम संस्कार के लिए परेशान

खबर सार :-
पीलीभीत जिले के गजरौला कला थाना क्षेत्र स्थित रामनगरिया गांव में अधूरा श्मशान घाट ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। ग्रामीण लगातार संबंधित अधिकारियों से श्मशान घाट के निर्माण को जल्द पूरा करने की मांग कर रहे हैं। गांव में जब भी कोई अंत्येष्टि होती है, यह मुद्दा प्रमुखता से उठता है।

पीलीभीत के रामनगरिया में अधूरा श्मशान घाटः ग्रामीण अंतिम संस्कार के लिए परेशान
खबर विस्तार : -

पीलीभीत : जिले के गजरौला कला थाना क्षेत्र के रामनगरिया गांव में अधूरा पड़ा श्मशान घाट ग्रामीणों के लिए गंभीर समस्या बना हुआ है। अंतिम संस्कार जैसी अत्यंत संवेदनशील और जरूरी प्रक्रिया के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव प्रशासनिक उदासीनता और लापरवाही को उजागर करता है। वर्षों से अधूरा पड़ा यह श्मशान घाट न केवल ग्रामीणों की भावनाओं को आहत कर रहा है, बल्कि हर अंत्येष्टि के समय उन्हें असहज परिस्थितियों का सामना करने को मजबूर कर देता है।

ग्रामीणों के सामने बड़ी समस्या

ग्रामीणों के अनुसार, लगभग तीन बीघा भूमि में श्मशान घाट के निर्माण की शुरुआत की गई थी। शुरुआत में कुछ ढांचा खड़ा किया गया, लेकिन उसके बाद निर्माण कार्य ठप पड़ गया। न छत है, न बैठने की व्यवस्था और न ही बारिश व ठंड से बचाव का कोई साधन। बरसात के मौसम में शवयात्रा के साथ आए लोगों को कीचड़ और पानी के बीच अंतिम संस्कार करना पड़ता है, जबकि सर्दियों में खुले आसमान के नीचे चिता जलाना ग्रामीणों के लिए बेहद कष्टदायक हो जाता है।

गांव निवासी राजू श्रीवास्तव ने बताया कि श्मशान घाट की जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से की गई, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। कब्जे के कारण निर्माण कार्य भी प्रभावित हुआ और धीरे-धीरे पूरा प्रोजेक्ट ही ठंडे बस्ते में चला गया। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते कब्जा हटाया गया होता, तो आज यह समस्या नहीं होती।

ग्रामीणों ने की जल्द निर्माण कराने की मांग

पूर्व ग्राम प्रधान लालाराम ने बताया कि श्मशान घाट के निर्माण का प्रस्ताव कई बार भेजा गया। शुरुआती दौर में कुछ धनराशि भी स्वीकृत हुई और काम शुरू हुआ, लेकिन बिना किसी स्पष्ट कारण के निर्माण बीच में ही रोक दिया गया। इससे सरकारी धन की बर्बादी हुई और ग्रामीणों को कोई सुविधा नहीं मिल सकी। उन्होंने सवाल उठाया कि अधूरे निर्माण के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है और उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

ग्रामीणों का कहना है कि जब भी गांव में किसी की मृत्यु होती है, तब यह मुद्दा फिर से सामने आता है। लोग मजबूरी में प्रशासन को कोसते हुए खुले में अंतिम संस्कार करते हैं। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और संबंधित विभागों से मांग की है कि श्मशान घाट का निर्माण कार्य जल्द से जल्द पूरा कराया जाए, अवैध कब्जे हटाए जाएं और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए, ताकि भविष्य में किसी को इस तरह की पीड़ा न झेलनी पड़े।

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