Orissa High Court : बच्चा कोई निर्जीव वस्तु नहीं जिसे अभिभावकों के बीच उछाला जाए

खबर सार :-
Orissa High Court : उड़ीसा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि बच्चा कोई निर्जीव वस्तु नहीं है जिसे माता-पिता के बीच विवाद का माध्यम बनाया जाए। कोर्ट ने पिता को मुलाकात का अधिकार बरकरार रखा, और बच्चे के सर्वोत्तम हित को प्राथमिकता दी।

Orissa High Court : बच्चा कोई निर्जीव वस्तु नहीं जिसे अभिभावकों के बीच उछाला जाए
खबर विस्तार : -

Orissa High Court : उड़ीसा हाईकोर्ट ने हाल ही में दिए गए एक फैसले में यह स्पष्ट किया कि तलाकशुदा या अलग रह रहे माता-पिता के बीच बच्चे को एक निर्जीव वस्तु की तरह नहीं देखा जा सकता, जिसे मनचाहे तरीके से एक पैरेंट से दूसरे के बीच फेंक दिया जाये। न्यायमूर्ति गौरीशंकर सतपथी ने यह टिप्पणी एक ऐसे मामले में की, जहां पर एक पिता ने अपने बेटे से मिलने का अधिकार (अपेपजंजपवद तपहीजे) के लिए याचिका दायर की थी, जिसे ट्रायल कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। मां ने इस आदेश को चुनौती दी थी।

याचिकाकर्ता मां ने दावा किया कि पिता ने कभी बच्चे की परवरिश में कोई योगदान नहीं दिया और ना ही आर्थिक सहायता प्रदान की। लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चे के हित को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, न कि माता-पिता की व्यक्तिगत शिकायतों को। कोर्ट ने यह भी कहा की, “चरम परिस्थितियों को छोड़कर, एक अभिभावक को अपने बच्चे से मिलने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।”

जस्टिस सतपथी ने यह स्पष्ट किया कि माता-पिता की आपसी कटुता और अहंकार की कीमत बच्चे को नहीं चुकानी चाहिए। उन्होंने यह भी दोहराया कि बच्चों को दोनों अभिभावकों के प्रेम और मार्गदर्शन की जरूरत होती है, जिससे उनका समग्र विकास हो सके।

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