जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सली संगठन नाबालिग लड़के-लड़कियों के हाथों में हथियार थमा रहे हैं। उन्हें जंगल में बम बनाना और गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। दंतेवाड़ा-बीजापुर जिले की सीमा पर मंगलवार को मुठभेड़ में मारे गए 25 लाख रुपये के इनामी नक्सली सुधीर उर्फ सुधाकर के पास से बरामद चार पन्नों के पत्र से यह खुलासा हुआ है। पत्र में मिले साक्ष्यों के मुताबिक नाबालिग बच्चों को जंगल में हथियार (स्नाइपर) चलाना और आईईडी बनाना भी सिखाया जा रहा है।
मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस ने नक्सली नेता सुधाकर उर्फ मुरली के पास से सामान के साथ तेलुगु भाषा में लिखा एक पत्र भी बरामद किया है, जिसमें नक्सली संगठन में नए लड़कों की भर्ती और नक्सली नेताओं से मीटिंग समेत कई बातें लिखी हैं। पत्र में लिखा है कि कुछ दिन पहले नक्सलियों के उत्तर बस्तर ब्यूरो में माड़ इलाके में सीसीएम, डीकेएसजेडसी कैडर के नक्सलियों की उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। इस बैठक में नक्सल संगठन के काम, नुकसान, सफलता और चुनौतियों की समीक्षा की गई और एक रिपोर्ट तैयार की गई, जिसका जिक्र पत्र में किया गया है।
पत्र में लिखा है कि जो लड़के भर्ती हुए हैं, वे अभी लड़ाई के काबिल नहीं हैं। नक्सल संगठन को लड़ाकों की जरूरत है, जो भर्ती हुए हैं, उन्हें नक्सल नीति, राजनीति और लड़ाई का प्रशिक्षण दिया गया है। उन्हें लड़ाई के काबिल बनाने में समय लगेगा। जो लोग संगठन में हैं, उनमें से ज्यादातर ने सरेंडर कर दिया है और कुछ मारे गए हैं। अगर नक्सल संगठन में नई भर्तियां नहीं की गईं, तो नक्सलवाद का अस्तित्व खतरे में है। पत्र को अलग-अलग एरिया कमेटियों को भेजकर उन्हें नई भर्ती और बैठक में की गई समीक्षा से अवगत करा दिया गया है।
नक्सलियों के तेलुगु भाषा में लिखे चार पन्नों के हस्तलिखित पत्र में पूरा ब्योरा है। इसमें लिखा है कि माड़ डिवीजन के इंद्रावती एरिया कमेटी और नेलनार एरिया में 130 लोगों की नई भर्ती हुई है, जिन्हें गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण दिया गया है। 18 से 22 वर्ष के युवक-युवतियों को हथियार दिए गए हैं, लेकिन अभी भी 9 से 17 वर्ष के बच्चे हैं। उन्हें शिक्षित किया गया है, जो अनपढ़ हैं उन्हें अक्षर ज्ञान कराया गया है। भौगोलिक स्थिति, नक्सल संगठन, नक्सलवाद का इतिहास और क्रांति की जानकारी देने की बात लिखी गई है।
नक्सलियों के इस पत्र में लिखा है कि अगर कोई युवक या युवती नक्सल संगठन में शामिल होता है, हथियार उठाता है तो वे अभी गांव में न जाएं। क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं लड़ाके सरेंडर न कर दें, या पुलिस उन्हें गिरफ्तार न कर ले, इसीलिए नक्सलियों ने ऐसा आदेश जारी किया है। मारे गए इनामी नक्सली से बरामद पत्र में बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने बताया कि नक्सल संगठन नाबालिगों को गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग दे रहा है। नक्सलियों का यह तरीका नया नहीं है। नक्सली अनैतिक तरीके से मासूम नाबालिगों को ऐसे खतरनाक काम में शामिल करते रहे हैं। नक्सली संगठनों के पास अब हिंसा छोड़कर सरेंडर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। इसलिए बेहतर है कि वह तुरंत हिंसक गतिविधियां छोड़ दें और समाज की मुख्यधारा में शामिल हो जाएं।
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