Murshidabad violence: मृतकों को परिजनों ने ठुकराया मुआवजा, बोले- पैसे नहीं न्याय चाहिए

Summary : मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज इलाके में 12 अप्रैल को वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने घर में घुसकर हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास की हत्या कर दी थी।

Murshidabad violence:  पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास के परिजनों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा घोषित मुआवजे को लेने से साफ इनकार कर दिया है। पीड़ित परिवार का कहना है कि अब मुआवजे का कोई मतलब नहीं रह गया है, क्योंकि जो दो अनमोल जिंदगियां उन्होंने खो दी हैं, वे कभी वापस नहीं आएंगी। 

Murshidabad violence: प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप

मृतक के परिजनों के मुताबिक, अगर पुलिस समय पर पहुंच जाती तो शायद उनकी जान बच जाती। अब जब वे नहीं रहे तो इस मुआवजे का हमारे लिए कोई महत्व नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि हिंसा के बाद इलाके में अभी भी डर का माहौल बना हुआ है। 

राष्ट्रीय महिला आयोग की एक टीम करोगी दौरा

राष्ट्रीय महिला आयोग की एक टीम शुक्रवार या शनिवार को कोलकाता पहुंचेगी और इस हिंसा के कारण विस्थापित हुए परिवारों की महिला सदस्यों से बात करेगी। टीम मुर्शिदाबाद जिले के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से भी मुलाकात कर हिंसा के बारे में जानकारी हासिल करेगी।

12 अप्रैल को भड़की थी हिंसा

गौरतलब है कि मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज इलाके में 12 अप्रैल को वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने घर में घुसकर हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास की हत्या कर दी थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को मुस्लिम समुदाय के इमामों और धार्मिक नेताओं के साथ बैठक के दौरान हिंसा में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की थी। लेकिन गुरुवार को मृतकों के परिजनों ने इसे लेने से इनकार कर दिया।

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