Jharkhand High Court: डीजीपी पद पर अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को लेकर सरकार व आयोग से जवाब तलब

खबर सार :-
झारखंड हाई कोर्ट ने सोमवार को भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी की ओर से दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए डीजीपी पद पर अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार, संघ लोक सेवा आयोग और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।

Jharkhand High Court: डीजीपी पद पर अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को लेकर सरकार व आयोग से जवाब तलब
खबर विस्तार : -

रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। यहां हाई कोर्ट ने भाजपा नेता बाबू लाल मरांडी की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए डीजीपी पद पर अनुराग गुप्ता की नियुक्ति के मामले में बड़ा कदम उठाया है। हाई कोर्ट ने डीजीपी की नियुक्ति और नियमावली को लेकर राज्य सरकार, केंद्र सरकार और यूपीएससी सहित सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का एक और मौका दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी।

याचिका पर 24 मार्च को भी हुई थी सुनवाई

झारखंड हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बाबूलाल मरांडी की इस याचिका पर 24 मार्च को भी सुनवाई की थी और सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए 16 जून तक जवाब देने को कहा था। मरांडी ने अपनी याचिका में कहा है कि डीजीपी के पद पर गुप्ता की नियुक्ति में यूपीएससी की गाइडलाइन्स और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना की गई है। याचिका में झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी, गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल, डीजीपी अनुराग गुप्ता, डीजीपी चयन समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा, समिति के सदस्य पूर्व डीजीपी नीरज सिन्हा को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने पिछली सुनवाई के दौरान अदालत को बताया था कि राज्य सरकार ने बिना किसी गंभीर आरोप के आईपीएस अधिकारी अजय कुमार सिंह को कार्यकाल पूरा किए बगैर डीजीपी के पद से हटाकर इस पद पर अनुराग गुप्ता को नियुक्त कर दिया, जबकि उनका कार्यकाल 14 फरवरी 2025 तक था। 

मरांडी की याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला

बाबू लाल मरांडी की ओर से दायर अवमानना याचिका में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी हवाला दिया गया है, जिसके अनुसार डीजीपी के चयन के लिए राज्य सरकार की ओर से भेजे जाने वाले आईपीएस अधिकारियों के पैनल से यूपीएससी तीन बेहतर छवि और कार्यकाल वाले नामों का चयन करता है और इसके बाद राज्य की सरकार इनमें से किसी एक को कम से कम दो वर्ष के लिए डीजीपी पद पर नियुक्त करती है।  इसी नियम के तहत राज्य सरकार ने 14 फरवरी 2023 को अजय कुमार सिंह को डीजीपी बनाया था, लेकिन उन्हें बिना किसी आरोप के कार्यकाल पूरा होने के पहले ही पद से हटा दिया गया। याचिका में प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से पारित आदेश को दरकिनार करने और कोर्ट के आदेश की अवमानना का आरोप लगाया गया है। यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए जो चयन समिति बनाई है, उसमें एक संघ लोक सेवा आयोग और एक झारखंड लोक सेवा आयोग का नामित सदस्य रखना अनिवार्य है, लेकिन सरकार ने अपने ही इस नियम का अनुपालन नहीं किया। जिस चयन समिति ने डीजीपी पद पर नियुक्ति के लिए अनुराग गुप्ता के नाम की अनुशंसा की, उसकी बैठक में यूपीएससी और जेपीएससी का कोई सदस्य नहीं था।

अन्य प्रमुख खबरें