आम जनता की रुचि न होने के कारण सफेद हाथी साबित हो रही है मल्टीलेवल पार्किंग

खबर सार :-
झांसी के लोगों की सुविधा के लिए बनाई गई मल्टीलेवल पार्किंग महज दिखावा बनकर रह गई है। बार-बार चेतावनी के बावजूद वाहन मालिक अपने वाहन सड़क किनारे पार्क कर रहे हैं।

आम जनता की रुचि न होने के कारण सफेद हाथी साबित हो रही है मल्टीलेवल पार्किंग
खबर विस्तार : -

झांसीः घाटे को देखते हुए इलाइट चौराहे पर मल्टीलेवल पार्किंग का संचालन कर रही कंपनी एडीएमएस और पार्कमेट ने अपना अनुबंध निरस्त करने का पत्र झांसी नगर निगम को सौंप दिया। नगर आयुक्त सत्य प्रकाश ने बताया कि मल्टीलेवल पार्किंग का ठेका लेने वाली कंपनी ने ठेका सरेंडर करने का पत्र दे दिया है। 

इस पर कार्रवाई की जा रही है, अगर कंपनी पर कोई किराया बकाया है तो उसे जमा करा दिया जाएगा या फिर सिक्योरिटी राशि से समायोजित कर दिया जाएगा। जल्द ही फिर से पार्किंग का नया अनुबंध किया जाएगा। इस मल्टीलेवल पार्किंग का ठेका लेने वाली कंपनी के घाटे के लिए आम जनता के साथ-साथ यातायात विभाग और अन्य संबंधित विभाग भी जिम्मेदार हैं। शहर के इस व्यस्ततम स्थान पर आम जनता अपने वाहनों को सड़क किनारे बेतरतीब ढंग से पार्क करती रही। 

यातायात विभाग और नगर निगम ने इन वाहन स्वामियों को कई बार चेतावनी भी दी लेकिन इन वाहन स्वामियों पर इसका कोई असर नहीं हुआ और वे चेतावनी को नजरअंदाज कर अपने वाहनों को सड़क किनारे इधर-उधर पार्क करते रहे, जिससे मल्टीलेवल पार्किंग खाली रही और कंपनी को काफी नुकसान उठाना पड़ा। स्मार्ट सिटी योजना के तहत नगर निगम कार्यालय के बगल में इस मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण कराया गया था, जिसके निचले तल पर मार्केट बनाई गई थी और ऊपरी 3 मंजिलों पर पार्किंग की व्यवस्था की गई थी। 

इस मल्टीलेवल पार्किंग में करीब 250 पहिया वाहनों की पार्किंग की सुविधा है। काफी प्रयासों के बाद फरवरी माह में इस मल्टीलेवल पार्किंग का ठेका दिल्ली की एक कंपनी ने लिया था, जिसका किराया 6.5 लाख रुपये प्रतिमाह था। इस मल्टीलेवल पार्किंग में कुछ ही वाहन पार्क किए जा रहे थे, जिसके कारण यह कंपनी अपना किराया वसूल नहीं कर पा रही थी। कंपनी ने यहां वाहन पार्क करने के लिए काफी प्रयास भी किए, लेकिन यातायात विभाग और नगर निगम के प्रयासों के बावजूद भी लोग इस मल्टीलेवल पार्किंग में अपने वाहन पार्क नहीं करते थे। 

कंपनी इतनी कमाई नहीं कर पाती थी कि वह नगर निगम में अपना मासिक किराया जमा कर सके। बढ़ते घाटे को देखते हुए ठेका लेने वाली कंपनी ने इस ठेके को सरेंडर करने का फैसला लिया और नगर निगम को एक पत्र दिया, जिस पर अब नगर निगम कार्रवाई करते हुए फिर से नया ठेका तलाशेगा। बताया गया है कि स्मार्ट सिटी ने अब कंपनी को एक माह का नोटिस देकर औपचारिक रूप से अनुबंध रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

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