मरहूम मुफ्ती महबूब अली की याद में 'जलसा-ए-ताज़ियत' का आयोजन

खबर सार :-
रामपुर में जन सेवा समिति ने मरहूम मुफ्ती मौलवी महबूब अली साहब की याद में एक 'जलसा-ए-ताज़ियत' आयोजित किया। इस दौरान उन्हें श्रद्धांजलि दी गई और उनके जीवन व समाज के प्रति योगदान को याद किया गया। बैठक में उनके साहबजादों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की।

मरहूम मुफ्ती महबूब अली की याद में 'जलसा-ए-ताज़ियत' का आयोजन
खबर विस्तार : -

रामपुर: जन सेवा समिति की एक बैठक वसीम-उल-हसन खान के आवास पर आयोजित की गई, जिसमें मरहूम मुफ्ती मौलवी महबूब अली साहब के साहबजादों और कतर से आए मेहमानों ने शिरकत की। यह बैठक मुफ्ती साहब को श्रद्धांजलि देने के लिए बुलाई गई थी।

जन सेवा समिति के प्रदेश अध्यक्ष वसीम-उल-हसन खान ने कहा, "मुफ्ती मौलवी महबूब साहब अब हमारे बीच नहीं रहे। उनकी उम्र 95 साल थी, लेकिन उनका स्नेह, उनकी शिक्षा और उनकी यादें आज भी हमारे दिलों में जिंदा हैं।" उन्होंने बताया कि मुफ्ती साहब का जन्म 1930 में हुआ था और उन्होंने मदरसा आलिया रामपुर से तालीम हासिल की थी। उनके उस्ताद मौलाना शाह वजीरुद्दीन अहमद खान थे।

मुफ्ती साहब 1954 में मदरसा आलिया से फारिग होकर उसी साल मदरसा फुरकानिया में उस्ताद बन गए। उन्होंने 1960 से मदरसा फुरकानिया के बच्चों को कुरान और हदीस की तालीम दी। उनकी खिदमत 65 साल तक रही। 1960 में ही वह जामा मस्जिद के इमाम बने, और बड़े मौलवी शाह वजीरुद्दीन अहमद खां 'खतीब-ए-आज़म' ने उन्हें अपना कायम-मुकाम बनाया। उन्होंने जामा मस्जिद और मदरसा फुरकानिया की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। मुफ्ती साहब के जिला प्रशासन से भी बहुत अच्छे संबंध थे।

रवानगी से कुछ समय पहले, उन्होंने मौलाना नासिर खान को शहर इमाम, मौलाना मकसूद को शहर मुफ्ती, और मरीफ अल्लाह खान को नायब इमाम नियुक्त किया। इसके बाद वह अपने पोते की शादी में अमेरिका गए, जहाँ उनका इंतकाल हो गया। यह खबर जैसे ही रामपुर और पूरे हिंदुस्तान में फैली, लोगों में शोक की लहर दौड़ गई।

जन सेवा समिति के नगर अध्यक्ष हाजी हारिस शमसी ने बताया कि पान दरीबा स्थित जन सेवा समिति के कार्यालय में भी मुफ्ती साहब की यादगार में एक मीटिंग हुई, जिसमें सभी धर्मों के लोगों ने शिरकत कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मुफ्ती मौलवी महबूब साहब को मौलाना मोहम्मद अली जौहर अस्पताल के संस्थापकों में से एक के रूप में भी याद किया जाता है।

इस अवसर पर उनके साहबजादे फैज अली और मसूद अली, और कतर से आए ओसामा शमसी भी मौजूद थे। मौलवी शाह खालिद साहब ने बयान दिया और दुआ कराई। बैठक में वसीम-उल-हसन खान, शाह खालिद साहब, असद-उल-हक कैस साहब, हाजी परवेज अख्तर, मुन्ने शम्सी, मनी सिंग, सनी गुप्ता, अशोक कुमार, सलीम साहब, उमैर अहमद, उजैर शम्सी, सलीम वसी खान, शिराज शम्सी, मुकर्रम मियां, शीबू खान, नजमी खान, शाहब खान, शुऐब शम्सी, समद मियां आदि उपस्थित रहे।

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