लखनऊ में आबकारी विभाग की मिलीभगत से चल रहा ओवररेट शराब का खेल, सुबह 10 बजे से पहले ही बिक रही देशी शराब

Summary : राजधानी लखनऊ के जानकीपुरम और गुडंबा थाना क्षेत्रों में एक बार फिर आबकारी विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के जानकीपुरम और गुडंबा थाना क्षेत्रों में एक बार फिर आबकारी विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। आरोप है कि स्थानीय देशी शराब के ठेकों पर न केवल सुबह 10 बजे से पहले ही शराब बेची जा रही है, बल्कि वह भी ओवररेट पर। हैरानी की बात यह है कि यह सब कुछ खुल्लमखुल्ला हो रहा है—जैसे कानून और नियमों का कोई वजूद ही न हो। इस पूरे मामले में सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि पहले भी इन ठेकों के वीडियो वायरल हो चुके हैं, जिनमें नियमों की धज्जियाँ उड़ती साफ नजर आती हैं। बावजूद इसके, न तो कोई बड़ी कार्रवाई की गई और न ही ठेकों पर कोई दबाव बनाया गया। इसका सीधा सा मतलब यह निकाला जा रहा है कि संबंधित आबकारी इंस्पेक्टर और अधिकारियों की मिलीभगत से यह खेल जारी है।

कीमत को लेकर कई बार झगड़े की नौबत भी आती है

स्थानीय सूत्रों और ग्राहकों का कहना है कि ठेकेदार खुलेआम सुबह 10 बजे से पहले ही दुकानें खोल लेते हैं, और जो ग्राहक आए, उससे तय कीमत से कहीं अधिक वसूली की जाती है। कई बार यह कीमत अधिक मांगने पर ग्राहक और ठेके के कर्मचारियों के बीच झगड़े की नौबत भी आ चुकी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। यह आरोप भी लगाया जा रहा है कि वायरल हुए वीडियो के बावजूद ठेकों पर कार्यवाही इसलिए नहीं हुई क्योंकि मोटा सुविधा शुल्क संबंधित अधिकारियों तक पहुँच चुका था। यही वजह है कि इन शराब कारोबारियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि न उन्हें कानून का डर है, न ही प्रशासन का। 

सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि समाज  ढाँचे पर भी चोट

सवाल यह है कि क्या जनता को यह 'रामराज्य' इसी रूप में दिखाया जा रहा है, जहाँ भ्रष्टाचार खुलेआम बिकता है, और आवाज उठाने वालों की ही आवाज दबा दी जाती है? शराब की यह अवैध बिक्री सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि समाज के उस ढाँचे पर भी चोट है जो मर्यादा और अनुशासन की बात करता है। यदि जल्द ही इस पर प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई, तो यह सिलसिला केवल लखनऊ तक सीमित नहीं रहेगा—बल्कि पूरे प्रदेश की छवि को धूमिल कर सकता है।
 

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