निजीकरण के विरोध में इंजीनियरों के समर्थन में एक मंच पर आए 16 किसान संगठन

खबर सार :-
42 जनपदों की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था के निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मियों के विरोध का समर्थन 16 किसान संगठनों ने किया है। किसान संगठनों ने पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण के विरोध में 04 जून को सभी जनपदों में विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है।

निजीकरण के विरोध में इंजीनियरों के समर्थन में एक मंच पर आए 16 किसान संगठन
खबर विस्तार : -

लखनऊ : 42 जनपदों की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था के निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मियों के विरोध का समर्थन 16 किसान संगठनों ने किया है। किसान संगठनों ने पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण के विरोध में 04 जून को सभी जनपदों में विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है।

संयुक्त किसान मोर्चा के साथ एक मंच पर आए 16 किसान संगठनों की प्रमुख मांगों में दोनों डिस्कॉम के निजीकरण के निर्णय को वापस लेना, बिजली टैरिफ में वृद्धि के साथ स्मार्ट मीटर लगाने का प्रस्ताव वापस लेना, 300 यूनिट तक किसानों को फ्री बिजली देना शामिल है। किसान संगठनों ने प्रबंधन को चेताया कि निजीकरण का विरोध कर रहे बिजली कर्मियों व इंजीनियरों का उत्पीड़न किया गया तो संगठन उनके साथ खड़ा रहेगा। ऐसी किसी उत्पीड़नात्मक कार्यवाही का कड़ा विरोध किया जाएगा।

किसान संगठनों के पदाधिकारियों ने वर्चुअल बैठक कर विरोध कार्यक्रमों की तैयारियों को परखा। बैठक के दौरान किसान नेताओं ने कहा कि बिजली का निजीकरण किसी भी वर्ग के लिए हितकारी नहीं है। आम जनता के लिए सस्ती बिजली और पानी लोक कल्याणकारी सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार जनता को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने में नाकाम है, रोजगार देने में अफसल है और उल्टे निजीकरण करने पर उतारू है तो किसान, कर्मचारी सरकार का विरोध अवश्य करेंगे। 

संघर्ष समिति ने की निदेशक वित्त पर कार्रवाई की मांग 

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निजी कम्पनी के साथ मिलीभगत कर घोटाला करने वाले निदेशक वित्त निधि नारंग पर कार्रवाई करने की मांग की है। संघर्ष समिति ने कहा कि यूपीपीसीएल के चेयरमेन की नाक की नीचे यह घोटला हो रहा है।

इसके बाद भी निदेशक वित्त पर कार्रवाई करने की जगह प्रबंधन इंजीनियरों व कर्मियों के खिलाफ उत्पीड़नात्मक कार्रवाई कर रहा है। इंजीनियरों का उत्पीड़न की दृष्टि से तबादला किया जा रहा है, वेतन काटा जा रहा है। प्रबंधन ने कर्मचारी सेवा विनियमावली में आलोकतांत्रिक संशोधन किया है, इससे कार्य का वातावरण बिगड़ रहा है। 
 

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