दिल्ली-एनसीआर में सांस लेना हुआ मुश्किल: एक्यूआई 400 पार, अस्पतालों में बढ़े मरीज

खबर सार :-
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता वायु प्रदूषण अब एक गंभीर स्वास्थ्य आपदा बन चुका है। हवा जहरीली होने से हर उम्र वर्ग के लोग प्रभावित हो रहे हैं। प्रशासनिक कदमों के बावजूद हालात नहीं सुधर रहे हैं। जब तक नागरिक और सरकार दोनों मिलकर ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक एनसीआर में सांस लेना और मुश्किल लग रहा है।

दिल्ली-एनसीआर में सांस लेना हुआ मुश्किल: एक्यूआई 400 पार, अस्पतालों में बढ़े मरीज
खबर विस्तार : -

Delhi NCR AQI: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण ने एक बार फिर से खतरनाक स्तर पार कर लिया है। पर्यावरण मॉनिटरिंग केंद्रों की ताजा रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के कई इलाकों में एक्यूआई 450 से ऊपर पहुंच गया है। बवाना में एक्यूआई 460, चांदनी चौक में 455 और आनंद विहार में 431 दर्ज किया गया। वहीं नोएडा के सेक्टर-125 में 419 और गाजियाबाद के वसुंधरा क्षेत्र में 413 तक पहुंच गया है। यह स्तर “गंभीर” श्रेणी में आता है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है।

स्वास्थ्य पर दिखने लगे गंभीर प्रभाव

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण का असर अब लोगों के स्वास्थ्य पर साफ दिखने लगा है। अस्पतालों में सांस लेने में तकलीफ, गले में खराश, आंखों में जलन और सीने में दर्द जैसी शिकायतों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। आरएमएल, सफदरजंग और एलएनजेपी अस्पतालों में इस तरह के मामलों में पिछले एक सप्ताह में 40 से 50 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि बिना मास्क के बाहर निकलना बेहद खतरनाक हो सकता है।

सबसे ज्यादा खतरे में बच्चे और बुजुर्ग

विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण का यह स्तर विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और हृदय या फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। ऐसे लोगों को घर से बाहर न निकलने की सलाह दी गई है। स्कूलों में भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। कई निजी स्कूलों ने खेलकूद और आउटडोर गतिविधियों पर अस्थायी रोक लगा दी है।

प्रदूषण के कारण और प्रशासनिक कदम

पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार प्रदूषण बढ़ने के पीछे पराली जलाना, वाहनों से उत्सर्जन, निर्माण कार्यों से उठने वाली धूल और मौसम के ठहराव जैसे कारक जिम्मेदार हैं। सरकार ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत पहले ही स्टेज-III लागू कर रखा है, जिसमें निर्माण कार्यों पर रोक और डीजल वाहनों पर पाबंदी जैसे प्रावधान हैं। बावजूद इसके, हवा की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं दिख रहा।

विशेषज्ञों की अपील और नागरिकों की जिम्मेदारी

विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि अब निजी वाहनों के उपयोग को सीमित करना, औद्योगिक उत्सर्जन पर सख्त निगरानी रखना और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना जरूरी है। नागरिकों से अपील की गई है कि वे अनावश्यक रूप से बाहर न निकलें, मास्क पहनें और अपने घरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।

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