मप्र में कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद झांसी में ड्रग विभाग की बड़ी कार्रवाई, मेडिकल स्टोर्स पर छापेमारी

खबर सार :-
मप्र में कफ सिरप से बच्चों की मौत की घटना के बाद झांसी में औषधि विभाग सक्रिय हुआ। जिला अस्पताल और मेडिकल स्टोर्स पर छापेमारी कर 13 सैंपल जांच के लिए भेजे गए। दो दुकानों को नियम उल्लंघन पर नोटिस जारी हुआ। रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

मप्र में कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद झांसी में ड्रग विभाग की बड़ी कार्रवाई, मेडिकल स्टोर्स पर छापेमारी
खबर विस्तार : -

 झांसी: मध्य प्रदेश में कथित तौर पर कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत और उनके गुर्दे फेल होने की खबरों ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया है। इस गंभीर मामले की गूंज झांसी तक पहुंची है, जहां औषधि विभाग ने तेजी से कदम उठाते हुए संदिग्ध कफ सिरप की तलाश शुरू कर दी है। इस कार्रवाई की अगुवाई असिस्टेंट ड्रग कमिश्नर दीपक शर्मा ने की, जिनके साथ ड्रग इंस्पेक्टर विनय मिश्रा और देवयानी की टीम शामिल रही।

जिला अस्पताल और मेडिकल स्टोर्स में छापेमारी

मंगलवार को इस विशेष जांच अभियान के तहत टीम ने सबसे पहले झांसी के जिला अस्पताल के स्टोर और उसके आसपास स्थित मेडिकल दुकानों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कुल 13 कफ सिरप के सैंपल जांच के लिए लिए गए। ये सैंपल अब लखनऊ की प्रयोगशाला भेजे गए हैं, जहां से 7-8 दिनों में रिपोर्ट आने की संभावना है। टीम ने कड़ी सतर्कता बरतते हुए रोगियों को दी जा रही दवाओं और विशेष रूप से कफ सिरप की गुणवत्ता की जांच की। अस्पताल स्टोर के अलावा मेडिकल कॉलेज के आसपास के मेडिकल स्टोर्स पर भी छापेमारी की गई।

दो दुकानों में अनियमितताएं, नोटिस जारी

जांच के दौरान दो मेडिकल दुकानों में नारकोटिक ड्रग्स और शेड्यूल H1 दवाओं से जुड़ा अनिवार्य रजिस्टर और रिकॉर्ड नहीं पाया गया। यह ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट का उल्लंघन माना गया। असिस्टेंट ड्रग कमिश्नर ने इन दोनों दुकानों को तत्काल नोटिस जारी कर 1 अप्रैल से 7 अक्टूबर तक की बिक्री का पूरा ब्यौरा मांगा है।

नारकोटिक और शेड्यूल H1 दवाओं पर सख्ती

दीपक शर्मा ने जानकारी दी कि नारकोटिक ड्रग्स और शेड्यूल H1 दवाएं आमतौर पर सिरदर्द, बेचैनी, नींद न आना जैसी समस्याओं में दी जाती हैं, लेकिन इनका प्रभाव नशीला होता है और ये तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती हैं। इसलिए इनका सेवन बिना डॉक्टर की लिखित पर्ची (प्रिस्क्रिप्शन) के कानूनन प्रतिबंधित है। ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत इन दवाओं की बिक्री पर कड़ी निगरानी रखी जाती है और प्रत्येक मेडिकल स्टोर को इनका रिकॉर्ड रखना अनिवार्य है। अगर कोई दुकानदार इस नियम का पालन नहीं करता, या गलत जानकारी देता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई तय है।

निर्माता कंपनी भी नहीं बचेगी

जांच दल ने स्पष्ट किया है कि यदि लिए गए सैंपल्स में गुणवत्ता की कमी या मानकों के विरुद्ध कोई तथ्य सामने आता है तो निर्माता कंपनी के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने जनता से भी अपील की है कि वे केवल पंजीकृत मेडिकल स्टोर्स से ही डॉक्टर की सलाह पर दवा लें और संदिग्ध उत्पादों की जानकारी तुरंत विभाग को दें।

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