IAS Abhishek Prakash: उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की सख्त नीति के तहत एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। इन्वेस्ट यूपी के सीईओ और वरिष्ठ IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश को सौर ऊर्जा परियोजना में कमीशन मांगने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। इस मामले में दलाल नितिन जैन को भी हिरासत में लिया गया है।
एसएईएल सोलर फीड प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी ने उत्तर प्रदेश में सोलर सेल बनाने की यूनिट लगाने के लिए इन्वेस्ट यूपी में आवेदन किया था। मूल्यांकन समिति की बैठक में परियोजना को हरी झंडी मिलने के बावजूद इसे स्वीकृति नहीं दी गई। बाद में कंपनी को पता चला कि दलाल नितिन जैन ने इस प्रोजेक्ट को पास कराने के लिए 5 फीसदी कमीशन की मांग की थी। जब कंपनी ने रिश्वत देने से इनकार किया, तो उनके आवेदन को नामंजूर कर दिया गया।
कंपनी ने इस मामले की शिकायत सरकार से की, जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी जांच के आदेश दिए। जांच में यह पुष्टि हुई कि अभिषेक प्रकाश ने जानबूझकर बैठक के नोट्स में बदलाव कर आवेदन को अस्वीकार कराने में भूमिका निभाई थी।
जांच में प्रथम दृष्टया आरोप सही पाए जाने के बाद आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया गया। साथ ही गोमतीनगर पुलिस ने इन्वेस्ट यूपी में भ्रष्टाचार के आरोप में घूसखोर निकांत जैन को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी 20 मार्च की शाम 6ः05 बजे शहीद पथ चढ़ाई के पास हुसैनिया चौकी क्षेत्र में की गई। इस कार्रवाई से प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।
जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, इस घोटाले में कई और अफसरों की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई है। पुलिस की जांच में सामने आया है कि नितिन जैन सिर्फ इन्वेस्ट यूपी के अधिकारियों के लिए ही दलाली नहीं करता था, बल्कि अन्य सरकारी महकमों के बड़े अफसरों से भी उसकी नजदीकी थी।
मीडिया में आ रही जानकारी के अनुसार, नितिन जैन की बातचीत तीन अन्य बड़े अधिकारियों से लगातार होती थी। इनमें पुलिस प्रशासन, बैंकिंग सेक्टर और अन्य सरकारी एजेंसियों के अधिकारी शामिल हो सकते हैं। इस वजह से जांच एजेंसियों ने नितिन जैन के बैंक खातों और कॉल डिटेल्स की गहराई से जांच शुरू कर दी है।
अभिषेक प्रकाश 2006 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और लखनऊ के डीएम सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। 2011 और 2014 में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें आई थीं, लेकिन तब कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। इन्वेस्ट यूपी में तैनाती के दौरान उन्होंने कई अहम फैसले लिए थे, जिनकी अब दोबारा समीक्षा की जा रही है।
इस पूरे मामले ने उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है। सरकार की त्वरित कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि अब भ्रष्ट अधिकारियों को किसी भी हाल में छोड़ा नहीं जाएगा। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे इस मामले में कई और खुलासे होने की संभावना है।
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा, कि यदि कोई अनावश्यक पैसे की मांग करता है, तो उसकी शिकायत करें। हम दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। जो भी अधिकारी दोषी पाया जाएगा, उसकी सरकारी नौकरी खत्म कर दी जाएगी और उसके परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी सेवा में नहीं आ सकेगा।
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