BSP Mayawati Rally: मायावती ने लखनऊ रैली में दिखाई ताकत, योगी सरकार की तारीफ... सपा पर बोला हमला

खबर सार :-
BSP Mayawati Rally: बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज 9 अक्टूबर को कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में एक विशाल रैली आयोजित की। इस दौरान मायावती ने मंच ms सपा-कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। राजधानी लखनऊ की सड़कों पर नीले झंडे, पोस्टर और बैनर दिखाई दे रहे हैं। समर्थकों की भारी भीड़ है। दावा किया जा रहा है कि इस रैली में पांच लाख से ज्यादा लोग जुटेंगे।

BSP Mayawati Rally: मायावती ने लखनऊ रैली में दिखाई ताकत, योगी सरकार की तारीफ... सपा पर बोला हमला
खबर विस्तार : -

BSP Mayawati Rally: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने गुरुवार 9 अक्टूबर को पार्टी संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर राजधानी लखनऊ स्थित कांशीराम स्मारक में एक विशाल रैली की। इस महारैली को संबोधित करते हुए उन्होंने विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोला। जबकि योगी सरकार की जमकर तारीफ की। मायावती की इस रैली को न सिर्फ श्रद्धांजलि कार्यक्रम के रूप में बल्कि राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखा जा रहा है।

BSP Mayawati Rally: विपक्षी दलों पर लगाए गंभीर आरोप

रमाबाई अंबेडकर मैदान आयोजित विशाल रैली को संबोधित करते हुए बसपा सुप्रीमो ने आरोप लगाया कि कांग्रेस, भाजपा और सपा जैसी जातिवादी पार्टियों ने मिलकर उनकी पार्टी को केंद्र की सत्ता तक पहुंचने से रोकने की साजिश रची। इन पार्टियों ने न केवल बसपा को राजनीतिक रूप से कमजोर करने की कोशिश की, बल्कि घटिया लोगों को खरीदकर दलित वोटों को बांटने की भी साजिश रची। मायावती ने कहा कि जब 2007 में उत्तर प्रदेश में बसपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई, तो इन जातिवादी पार्टियों के चेहरे बेनकाब हो गए। 

उन्होंने कहा, कांग्रेस, भाजपा और सपा ने मिलकर BSP को केंद्र की सत्ता तक पहुंचने से रोकने की साजिश रची। बाकी कसर ईवीएम ने पूरी कर दी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने आरोप लगाया कि इन पार्टियों ने बैलेट पेपर की जगह ईवीएम का इस्तेमाल करके लोकतंत्र के साथ छेड़छाड़ की है, जबकि बैलेट पेपर से भी चुनाव शांतिपूर्ण और पारदर्शी तरीके से कराए जा सकते हैं। 

अपने संबोधन में, बसपा प्रमुख ने सबसे पहले कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आपातकाल लगाकर कांग्रेस ने देश के संविधान और बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के सिद्धांतों का अपमान किया है। मायावती ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, "कांग्रेस ने कभी भी डॉ. अंबेडकर और दलित समाज का सच्चा सम्मान नहीं किया। आज वही कांग्रेसी नेता संविधान की प्रति लेकर नाटक कर रहे हैं।"

सपा पर किया तीखा हमला

Mayawati ने सपा पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि सपा के शासनकाल में दलितों और पिछड़ों का उत्पीड़न हुआ। मायावती ने कहा, "सपा सरकार में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी। गुंडों और असामाजिक तत्वों को संरक्षण मिला हुआ था। राज्य में भय और अराजकता का माहौल था।"  मायावती ने कहा "मैंने अभी अखिलेश यादव को यह कहते सुना कि अगर उनकी सरकार बनी, तो वे कांशीराम के नाम पर एक स्मारक बनवाएंगे। लेकिन उन्होंने सत्ता में रहते हुए ऐसा क्यों नहीं किया? उन्हें बसपा नेताओं और दलित संतों की याद तभी आती है जब वे सत्ता से बाहर होते हैं। सत्ता में आते ही वे सब कुछ भूल जाते हैं।"

मायावती ने फिर आरोप लगाया कि जैसे-जैसे बसपा सरकार मजबूत होती गई, कांग्रेस और भाजपा की केंद्र सरकारों ने सीबीआई और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल करके उसकी छवि खराब करने की कोशिश की। बसपा का मनोबल तोड़ने के लिए उन पर झूठे मुकदमे दर्ज किए गए। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और न्याय के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कहा कि हमारे विरोधी चाहे कितनी भी साज़िशें रच लें, बसपा आंदोलन न कभी झुका है और न कभी झुकेगा। 

Mayawati ने की योगी सरकार की तारीफ

बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा की योगी सरकार की तारीफ करते हुए कहा, "हम मौजूदा सरकार के आभारी हैं क्योंकि समाजवादी पार्टी सरकार के विपरीत, इस स्थल पर आने वाले लोगों से एकत्रित धन को वर्तमान भाजपा सरकार ने दबाया नहीं है... जब हम सत्ता में थे और यह स्मारक स्थल बनाया गया था, तो हमने इसे देखने के इच्छुक लोगों के लिए टिकट उपलब्ध कराने का फैसला किया था, और इससे प्राप्त राजस्व का उपयोग अन्य चीजों के लिए नहीं, बल्कि लखनऊ में बने पार्कों और अन्य स्मारक स्थलों के रखरखाव के लिए किया जाएगा।

लखनऊ में बसपा का शक्ति प्रदर्शन

गौरतलब है कि रमाबाई अंबेडकर मैदान में आयोजित रैली में सुरक्षा के लिए एक हज़ार से ज़्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे, जबकि ट्रैफ़िक पुलिस ने वैकल्पिक रास्ते भी तय किए थे।  रैली में राज्य भर से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए। बसपा संगठन ने लगभग पाँच लाख लोगों के जुटने का दावा किया। इस रैली को न सिर्फ़ श्रद्धांजलि कार्यक्रम के रूप में, बल्कि राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखा जा रहा है।
 

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