Rohini Acharya:  RJD की करारी हार के बाद लालू परिवार में पड़ी दरार, रोहिणी ने राजनीति से लिया संन्यास

खबर सार :-
Rohini Acharya: बिहार चुनाव नतीजों ( Bihar Election Result 2025) के अगले ही दिन लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने अचानक राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से नाता तोड़ने का ऐलान करके सबको चौंका दिया। उन्होंने संजय यादव और रमीज़ के दबाव का हवाला दिया, लेकिन ख़ुद ज़िम्मेदारी ली।

Rohini Acharya:  RJD की करारी हार के बाद लालू परिवार में पड़ी दरार, रोहिणी ने राजनीति से लिया संन्यास
खबर विस्तार : -

Rohini Acharya: बिहार की राजनीति में शनिवार को उस समय भूचाल आ गया जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया। साथ ही उन्होंने अपने परिवार से दूरी बनाने का भी ऐलान किया। रोहिणी ने दावा किया कि उन्होंने संजय यादव और रमीज़ के दबाव में यह कदम उठाया, जबकि वह सारा दोष अपने ऊपर ले रही हैं। उनके इस बयान से राजद खेमे में खलबली मच गई है। वहीं चुनावी हार के बीच सामने आया पारिवारिक कलह पार्टी की मुश्किलें और बढ़ा सकता है।

Rohini Acharya: रोहिणी की पोस्ट ने मचाई खलबली

दरअसल रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में लिखा, "मैं राजनीति छोड़ रही हूं और अपने परिवार से नाता तोड़ रही हूं। संजय यादव और रमीज ने मुझे ऐसा करने के लिए कहा था। मैं सारा दोष अपने ऊपर ले रही हूं।" रोहिणी के इस फैसले ने न केवल राजद के भीतर बल्कि पूरी बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। हालांकि राजद की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि लालू यादव, तेजस्वी यादव और राजद के अन्य नेता इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।

Bihar Election Result 2025 : महागठबंधन की करारी हार

रोहिणी आचार्य का यह बयान बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के दो दिन बाद आया है। इस चुनाव में राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा। तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली लालू यादव की पार्टी राजद सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गई। इस बिहार विधानसभा चुनाव में राजद ने 25 सीटें जीतीं। महागठबंधन की एक और बड़ी पार्टी कांग्रेस सिर्फ छह सीटों पर सिमट गई। वहीं, भाजपा 89 सीटें जीतकर बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। भाजपा-जदयू गठबंधन वाले एनडीए ने 202 सीटें मिली और भारी जीत हासिल की। जबकि महागठबंधन 36 सीटों पर सिमट गया।

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