भगत सिंह की जयंती पर निकाला गया क्रांतिकारी मार्च, अर्पित की गई श्रद्धांजलि

खबर सार :-
भगत सिंह की जयंती पर  नगर निगम परिसर से  एक मार्च निकाला गया। साथ ही भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।  इस दौरान एक सभा का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्य अखिलेश सिंह ने की।

भगत सिंह की जयंती पर निकाला गया क्रांतिकारी मार्च, अर्पित की गई श्रद्धांजलि
खबर विस्तार : -

अयोध्याः शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की जयंती पर आज नगर निगम परिसर से इंकलाब ज़िंदाबाद, शहीद भगत सिंह ज़िंदाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद, शहीदों के अरमानों को मंजिल तक पहुँचाएँगे आदि क्रांतिकारी नारे लगाते हुए एक क्रांतिकारी मार्च निकाला गया। पूजा श्रीवास्तव और मालती तिवारी के नेतृत्व में मार्च का समापन प्रतिमा स्थल पर एक सभा के रूप में हुआ। मार्च में ट्रस्ट के अध्यक्ष सत्यभान सिंह जनवादी मुख्य रूप से उपस्थित थे।

माल्यार्पण कर अर्पित की श्रद्धांजलि 

शहीद भगत सिंह स्मृति ट्रस्ट ने शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आरडी आनंद, बीएसएनएल यूनियन के प्रांतीय नेता कामरेड तिलक राज तिवारी, कवयित्री पूजा श्रीवास्तव, बृजेश श्रीवास्तव, युवा कवि रवींद्र कबीर, लेखक अखिलेश सिंह, महावीर पाल, मालती तिवारी सहित अन्य साथी शामिल थे। 

सभा का किया गया आयोजन

इसके बाद सभा ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्य अखिलेश सिंह की अध्यक्षता में एक सभा का आयोजन किया गया। सभा को संबोधित करते हुए, भगत सिंह ने छोटी सी उम्र में ही अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े, 'साम्राज्यवाद मुर्दाबाद' के नारे के साथ उन्होंने युवाओं के एक समूह को स्वतंत्रता आंदोलन में ले जाकर देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी, उनका जन्म 28 सितंबर 1907 को हुआ था, उसके बाद देश की जनता पर ब्रिटिश सरकार के अत्याचारों को देखकर भगत सिंह विचलित हो गए, फिर उसके बाद उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड देखा, फिर उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का बिगुल फूंका और 23 मार्च 1931 को फांसी के फंदे को चूम लिया।

अधूरा रह गया क्रांतिकारियों का सपनाः सत्यभान सिंह

अध्यक्ष सत्यभान सिंह जनवादी ने कहा कि शहीद भगत सिंह ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन का बिगुल फूंकते हुए इस लक्ष्य के साथ फांसी के फंदे को गले लगा लिया कि आजादी के बाद इंसान द्वारा इंसान का शोषण नहीं होगा, अमीर-गरीब के बीच कोई अंतर नहीं होगा, समानता होगी और सभी को जीने का अधिकार होगा। हालाँकि, आजादी के इतने वर्षों बाद भी, बेरोजगारी, महंगाई, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, अशिक्षा, भ्रष्टाचार और लूटपाट तेजी से बढ़ी है। इसलिए, क्रांतिकारियों का शहादत का सपना अधूरा रह गया।

लेखिका पूजा श्रीवास्तव ने कहा कि जिस तरह स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी, उसी तरह आज भी उनका शोषण हो रहा है। हम सभी को एकजुट होकर इस शोषण के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार रहना होगा। बीएसएनएल यूनियन के प्रांतीय नेता कॉमरेड तिलक राज तिवारी ने कहा कि शहीदों का सपना अधूरा रह गया है। हमें एकजुट होकर उनके उद्देश्यों को जनता तक पहुँचाना होगा।

आयकर यूनियन के नेता राजकुमार मिश्रा, महावीर पाल, अखिलेश सिंह, शिवांगी नंदा, नीतू मिश्रा, बृजेश श्रीवास्तव और रीना शर्मा ने भी भाग लिया। मालती तिवारी ने क्रांतिकारी गीत गाते हुए कहा कि आज शहीदों के उद्देश्यों को आम जनता तक पहुँचाना होगा और उन्हें जागरूक करना होगा। युवा कवि कबीर ने एक क्रांतिकारी कविता सुनाई। कार्यक्रम में सैकड़ों साथी मौजूद थे।

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