बरसात से पहले ही डराने लगे हैं बेसमेंट

खबर सार :-
यद्यपि लखनऊ नगर निगम और एलडीए की ओर से बेसमेंट की खुदाई बिना बड़े कारण नहीं हो सकता है। इसके लिए परमीशन की जरूरत होती है। इसकी प्रक्रिया काफी कठिन है, इसलिए लोग जोखिम का रास्ता बनाए जा रहे हैं।

बरसात से पहले ही डराने लगे हैं बेसमेंट
खबर विस्तार : -

लखनऊ, शहर की कई सोसाइटियों में बेसमेंट बने हुए हैं। इनके पिलर कमजोर हैं। यही कमजोरी लोगों के लिए चिंता का कारण बन रही हैं। खाली जमीन होने के कारण इसमें नमी भी बनी रहती है और किसी भी स्थान में भरे हुए पानी का संपर्क बेसमेंट में बन जाता है। इससे नमी बढ़ जाती है। यह खतरे का कारण भी बन सकता है। मकान के पिलर कमजोर हों या दीवार, पूरा मकान ही कमजोर हो जाता है।
लखनऊ शहर में कई बस्तियों में कमजोर बेसमेंट और मकान हैं।

इनमें ऊंची इमारते बनीं हुई हैं। कई बिल्डिंग बेसमेंट के करीब होने के कारण कमजोर हो रही हैं। सोसाइटियों में बेसमेंट में पानी भरने की परेशानी भले नई ना हो, लेकिन इसके खतरनाक होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। बेसमेंट में रिस कर पानी भरने का भी डर रहता है। बिल्डिंग के पिलर्स और इनकी दीवारों पर असर पड़ता है। शहर के तमाम लोगों के नगर निगम और लखनऊ विकास प्राधिकरण के पास शिकायती पत्र है।। इनमें लोगों ने स्ट्रक्चरल ऑडिट की मांग की है। साथ ही एक सर्व कराने की मांग की गई है कि आखिर कितने बेसमेंट की इजाजत विभागों से मिली है।

जिनको इजाजत नहीं दी गई, उनके बेसमेंट क्यों बने हुए हैं। बारिश के दौरान बीते साल दिल्ली में एक इमारत में पानी भर गया था। इसमें कई युवक डूबकर मर गए थे। इसके बाद लखनऊ में भी कार्रवाई शुरू हुई थी। सीलिंग का खौफ काफी दिनों तक रहा, लेकिन अब फिर बारिश के दौरान ऐसी इमारतों में पानी भरने का डर बना हुए है। बहरहाल अभी तक किसी प्रकार के एहतियात बरतने की कोशिश भी नहीं शुरू हुई है। पूर्व में पुराने मकानों और फ्लैट की खिड़की-दरवाजा आंधी में गिर चुके हैं। इसलिए पुराने मकानों का भी आडिट होना चाहिए। कई मकान तो ऐसे भी हैं, जिनमें बोर्ड या होर्डिंग्स लगाए गए हैं। इनको भी हटाने की मांग की जा रही है। आलमबाग सब्जी मंडी के पास दर्जनों इमारतों में बेसमेंट बने हुए हैं। इनमें कोचिंग चलाई जा रही हैं। ज्यादातर को बिना परमीशन के हैं। 
 

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