दहेज हत्या में पति व सास को हुई उम्रक़ैद, जुर्माना भी लगा

खबर सार :-
एडिशनल सेशंस जज फर्स्ट चंद्रपाल II की कोर्ट ने दहेज न देने पर अपनी प्रेग्नेंट बहू को जलाकर मारने के जुर्म में पति और सास को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही, हर एक पर सात-सात हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

दहेज हत्या में पति व सास को हुई उम्रक़ैद, जुर्माना भी लगा
खबर विस्तार : -

बांदाः जनपद में दहेज हत्या की दोषी सास को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई गई है। वहीं ससुर की गंभीर बीमारी के चलते ही मौत हो चुकी है। आपको बता दें कि दहेज में बाइक व दो तोला जंजीर न मिलने पर ससुरालियों ने गर्भवती बहू को आग लगाकर जला दिया था। इस मामले में दोषी पति व सास को अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम चंद्रपाल द्वितीय की अदालत ने शुक्रवार को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है। साथ ही, अन्य धाराओं में सजा सहित 7-7 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है। जिसकी अदायगी न करने पर 6-6 माह अतिरिक्त सजा काटनी होगी। दोषियों को जेल भेज दिया गया। पैलानी थाना क्षेत्र के पैलानी डेरा निवासी मलखान सिंह निषाद ने तहरीर देकर 22 मार्च 2010 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसने बेटी जयश्री की शादी 15 फरवरी 2003 को पैलानी डेरा निवासी राम सिंह निषाद के साथ की थी।

सामर्थ्य के मुताबिक़ दिया था दान दहेज़ 

सामर्थ्य के अनुसार दान दहेज देकर अपनी लड़की को विदा किया था। दहेज से दामाद राम सिंह, सास सियादुलारी व ससुर राम खेलावन असंतुष्ट थे। अतिरिक्त दहेज में एक मोटर साइकिल व दो तोला जंजीर की शर्त पूरी न करने पर उसकी लड़की को मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते रहे। 27 मई 2007 को उसकी पुत्री को पीटकर घर से निकाल दिया था। उच्चाधिकारियों को प्रार्थना पत्र देने के बावजूद दोनों पक्षों में समझौता 10 जुलाई 2007 व 2 अप्रैल 2008 को हो गया। इसी बीच उसकी पुत्री ने एक बच्चे को जन्म दिया। कुछ दिन बाद वह अपना मकान बनवा रहा था।

ससुरालीजनों ने शेष रुपयों की मांग की, नहीं दे पाने जला दिया

तभी ससुरालियों को जानकारी मिली कि वह अतिरिक्त दहेज पूरी नहीं कर रहा है और उसकी पुत्री को दोबारा प्रताड़ित करने लगे। मकान बनवाने की मजदूरी का 30 हजार रुपये अपनी पुत्री जयश्री को देकर चला गया और कहा कि यह पैसा मजदूरों को दे देना। कुछ पैसा उसने मजदूरों को दे दिया। शेष पैसा उसकी पुत्री ने अपने पास रख लिया। शेष पैसे की मांग उसके ससुरालीजन ने की। लेकिन उसने पैसा देने से इन्कार कर दिया। 20 मार्च 2010 को शाम पांच बजे उसका पति राम सिंह, ससुर राम खेलावन व सास सिया दुलारी ने पीटकर उसे जलाकर हत्या कर दी। जब उसे जानकारी मिली तो वह मौके पर गया और अपनी गर्भवती पुत्री को जली हुई मौके पर पाया।

न्यायालय ने 7000-7000 रुपये से किया दंडित 

हादसे के चलते उस दिन वह मुकदमा दर्ज नहीं करा पाया और 22 मार्च 2010 को रिपोर्ट दर्ज कराया।  मामले का आरोप पत्र विवेचक द्वारा 10 मई 2010 को अदालत में पेश किया। मामले की सुनवाई के दौरान तीनों के खिलाफ पांच अगस्त 2010 को आरोप बनाया गया। इसी बीच ससुर रामखेलावन निषाद की मृत्यु हो गयी। पति राम सिंह व सास सिया दुलारी की सुनवाई अदालत में की गयी। सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से आठ गवाह पेश किए गए। न्यायाधीश ने अपने 42 पृष्ठीय फैसले में पति राम सिंह व सास सियादुलारी को दोषी पाकर धारा 302/34 मे आजीवन कारावास व धारा 316 में 5-5 वर्ष का कारावास व 7000-7000 रुपये से दंडित किया।

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