आस्था और इतिहास का जीवंत प्रमाण है मदनापुर गुलैला का प्राचीन शिव मंदिर

खबर सार :-
शाहजहांपुर का दिउरा गांव का शिव मंदिर सांस्कृतिक विरासत और पौराणिक इतिहास का जीवंत प्रमाण है। अनेक वर्षों से इस मंदिर में श्रद्धालु अपनी मनोकानाएं लेकर आते हैं।

आस्था और इतिहास का जीवंत प्रमाण है मदनापुर गुलैला का प्राचीन शिव मंदिर
खबर विस्तार : -

शाहजहांपुर- मदनापुर क्षेत्र स्थित गुलैला (दिउरा) गांव का शिव मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह स्थल अपने भीतर सदियों पुराना पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व भी समेटे हुए है। यह मंदिर मुगल काल से भी पहले का माना जाता है और आज भी श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का प्रतीक बना हुआ है।

मुगल काल से जुड़ी पौराणिक मान्यता

स्थानीय जनश्रुतियों के अनुसार, मुगल काल में इस प्राचीन शिवलिंग को हटाने के कई प्रयास किए गए। बताया जाता है कि हाथियों तक का प्रयोग किया गया, लेकिन शिवलिंग अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ। इसे मंदिर की दिव्यता और अलौकिक शक्ति का प्रमाण माना जाता है।

1955 की ऐतिहासिक खुदाई

वर्ष 1955 में तत्कालीन तहसील मजिस्ट्रेट की देखरेख में कराई गई खुदाई में मंदिर परिसर से पनपथू ईंटों से बनी प्राचीन संरचनाएँ और कंक्रीट पत्थरों की दर्जनों मूर्तियाँ प्राप्त हुईं। इन अवशेषों ने मंदिर के अत्यंत प्राचीन होने की पुष्टि की।

प्राचीन सुरंग के अवशेष

मंदिर के समीप एक विशाल बरगद के पेड़ के नीचे से एक प्राचीन सुरंग मिलने की भी जानकारी सामने आई थी, जो बुधवाना के पास स्थित एक प्राचीन मढ़ी तक जाती थी। हालांकि, अब इसके केवल अवशेष ही शेष हैं।

पुरातत्व विभाग का संरक्षण

वर्ष 2008 में उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा मंदिर का सर्वेक्षण किया गया और सौंदर्यीकरण कार्य कराया गया। विभाग ने मंदिर की ऐतिहासिक महत्ता को लेकर रिपोर्ट भी तैयार की, जिससे इसके संरक्षण को मजबूती मिली।

आस्था और उत्सवों का केंद्र

यह शिव मंदिर श्रावण मास के सोमवार, तेरस और विशेष रूप से महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं से खचाखच भर जाता है। फाल्गुन माह की महाशिवरात्रि तथा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर यहाँ विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दराज से भक्त दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं।

संस्कृति और श्रद्धा का संगम

मदनापुर गुलैला का यह शिव मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि शाहजहांपुर की सांस्कृतिक विरासत और पौराणिक इतिहास का जीवंत साक्ष्य है। सदियों से यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था को संजोए हुए आज भी उसी श्रद्धा और भव्यता के साथ स्थापित है।

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