हाई कोर्ट बेंच स्थापना के लिए अधिवक्ताओं ने किया सांसद का घेराव, मिला आश्वासन

खबर सार :-
रामपुर हाई कोर्ट बेंच स्थापना केंद्र या संघर्ष समिति के प्रस्ताव में, बार एसोसिएशन रामपुर के सभी वकीलों ने न्यायिक काम से उपवास रखा और रामपुर के सांसद मोहिबुल्लाह के कार्यालय का घेराव किया और उन्हें एक अनुरोध पत्र विज्ञापन दिया।

हाई कोर्ट बेंच स्थापना के लिए अधिवक्ताओं ने किया सांसद का घेराव, मिला आश्वासन
खबर विस्तार : -

रामपुरः अधिवक्ताओं ने हाई कोर्ट बेंच स्थापना को लेकर सांसद मोहिबुल्लाह का घेराव किया। यह विरोध प्रदर्शन रामपुर बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं एवं संघर्ष समिति के नेतृत्व में हुआ, जिसमें सभी अधिवक्ता न्यायिक कार्य से व्रत रहे। उन्होंने सांसद मोहिबुल्लाह के कार्यालय में पहुंचकर उनका घेराव किया और एक ज्ञापन पत्र सौंपा।  

केंद्रीय विधि मंत्री से मिलने का आश्वासन

इस दौरान अधिवक्ताओं ने सांसद से हाई कोर्ट बेंच स्थापना को लेकर आश्वासन मांगा। सांसद ने भरोसा दिलाया कि वह संसद में इस मुद्दे को उठाएंगे और केंद्रीय विधि मंत्री से मुलाकात करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वह सभी सांसदों को इस मुद्दे के समर्थन में प्रेरित करेंगे। सांसद ने अधिवक्ताओं को यह भी आश्वासन दिया कि वे इस समस्या को संसद तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।  

न्याय व्यवस्था को मिलेगी मजबूती

अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि संसद में उनकी आवाज नहीं सुनी गई और हाई कोर्ट बेंच की स्थापना के लिए प्रयास नहीं किए गए, तो वे धरने और घेराव का सक्रिय रूप से समर्थन करेंगे। अधिवक्ताओं का मानना है कि यह मामला बहुत जरूरी है और इससे न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।  

विरोध प्रदर्शन में कई अधिवक्ता रहे मौजूद

इस महत्वपूर्ण विरोध प्रदर्शन में अध्यक्ष सतनाम सिंह मट्टू, एडवोकेट जितेंद्र प्रधान, जमुना प्रसाद लोधी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जाहिद अली, कोषाध्यक्ष रिजवान अली, महबूब अली, पाशा अरशद अली, मोहम्मद फुरकान, मुकेश कुमार, राहुल सिंह, मानसिंह, प्रकाश चंद गंगवार, तलत मियां, मोहम्मद रेहान, आमिर मियां, मोहम्मद रिजवान, मोहम्मद रफी, सुनील शर्मा, जावेद अली, संजीव सक्सेना, शेर मोहम्मद, दौलत सिंह, ब्रह्मपाल सिंह, नन्हे स्वराज सिंह और अन्य अधिवक्तागण मौजूद रहे।  

यह प्रदर्शन और आश्वासन दोनों ही हाई कोर्ट बेंच स्थापना के समर्थन में एक मजबूत कदम माना जा रहा है, और अधिवक्ताओं का कहना है कि वे अपनी आवाज को उठाते रहेंगे ताकि न्यायपालिका का विस्तार संभव हो सके।

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