लखनऊ: राजनीतिक-सामाजिक मोर्चे पर सक्रिय आम आदमी पार्टी (AAP) अब उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं को संगठित करने की दिशा में गंभीर पहल कर रही है। पार्टी के प्रदेश कार्यालय लखनऊ में आज AAP अधिवक्ता प्रकोष्ठ की पहली और अत्यंत महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई, जिसमें प्रदेशभर से सैकड़ों अधिवक्ताओं ने भाग लिया। बैठक राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह के मार्गदर्शन में तथा निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह की उपस्थिति में आयोजित हुई।
बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अधिवक्ता प्रकोष्ठ अध्यक्ष एडवोकेट प्रखर श्रीवास्तव ने की। बैठक में प्रकोष्ठ की संरचना, आगामी कार्ययोजनाएं और अधिवक्ताओं की भूमिका पर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ। प्रखर श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया कि यह मंच केवल एक संगठनात्मक ढांचा नहीं, बल्कि न्याय, संविधान और जनसेवा के प्रति प्रतिबद्ध एक वैचारिक अभियान है। उन्होंने एलान किया कि एडवोकेट प्रोडक्शन एक्ट को लागू कराने के लिए AAP संघर्ष करेगी।
प्रकोष्ठ के उद्देश्य चार बिंदुओं में तय
1. न्याय व्यवस्था में जनता के विश्वास को मजबूत करना
2. गरीब, वंचित और शोषित वर्ग को सुलभ न्याय दिलवाना
3. अधिवक्ता समाज की समस्याओं को सरकार के समक्ष मजबूती से उठाना
4. आम आदमी पार्टी Sकी नीति और नीयत को न्यायालय परिसरों तक पहुँचाना
श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा,
> “यह वक्त अधिवक्ताओं के संगठित होकर संविधान के पक्ष में खड़े होने का है। यह प्रकोष्ठ एक नई न्यायिक संस्कृति की नींव रखेगा, जहां कानून से ऊपर कोई नहीं होगा और न्याय सबका होगा, सिर्फ खास का नहीं।”
निशुल्क कानूनी सलाह देने की तैयारी
पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रिंस सोनी ने घोषणा की कि आम आदमी पार्टी प्रदेश में जनता को निशुल्क कानूनी सलाह उपलब्ध कराएगी, ताकि कानून आम आदमी के जीवन का रक्षक बने, न कि बाधा।
सभाजीत सिंह ने अधिवक्ताओं को लोकतंत्र के प्रहरी बताते हुए कहा कि,“अधिवक्ताओं का संगठित होना लोकतंत्र की मजबूती की दिशा में बड़ा कदम होगा। आम आदमी पार्टी इस दिशा में अग्रसर है और प्रदेश में मजबूत अधिवक्ता संगठन खड़ा किया जाएगा।”
इस ऐतिहासिक बैठक में प्रिंस सोनी, दिनेश पटेल, राजेन्द्र पांडेय, मो. आसिम नगरानी, मो. शारिक खान, दीपक पांडेय, शादबाज खान, विवेक सागर, आसिफ खान सहित सैकड़ों अधिवक्ताओं और कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की। बैठक उत्तर प्रदेश में AAP के संगठनात्मक विस्तार की दृष्टि से एक मील का पत्थर साबित हुई है और अधिवक्ताओं के लिए एक सक्रिय राजनीतिक मंच की दिशा में निर्णायक कदम मानी जा रही है।
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