China Military Parade 2025: चीन का विक्ट्री डे परेड और शी जिनपिंग की अमेरिकी नीति पर दो टूक टिप्पणी

खबर सार :-
चीन का विक्ट्री डे परेड न केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन था, बल्कि यह अमेरिका के लिए एक कूटनीतिक चुनौती भी था। राष्ट्रपति शी जिनपिंग का भाषण और तीन प्रमुख देशों का एक मंच पर होना, यह संकेत देता है कि चीन वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। चीन अब अपनी विदेश नीति में और अधिक आत्मविश्वास के साथ कदम बढ़ाएगा।

China Military Parade 2025: चीन का विक्ट्री डे परेड और शी जिनपिंग की अमेरिकी नीति पर दो टूक टिप्पणी
खबर विस्तार : -

China Military Parade 2025: चीन ने 3 सितंबर को बीजिंग में दूसरे विश्वयुद्ध में जापान की हार के 80 वर्ष पूरे होने के मौके पर एक भव्य विक्ट्री डे मिलिट्री परेड का आयोजन किया। यह दिन चीन हर साल 'विक्ट्री डे' के रूप में मनाता है, और इस साल की परेड खासतौर पर अधिक ध्यान आकर्षित करने वाली रही। इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तियानमेन चौक पर परेड की सलामी ली और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अप्रत्यक्ष रूप से चुनौती दी।

शी जिनपिंग का बयान: अमेरिका के खिलाफ अप्रत्यक्ष चेतावनी

राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने भाषण में अमेरिका का नाम लिए बगैर तीखे शब्दों में अपने इरादे जाहिर किए। उन्होंने कहा कि चीन किसी भी प्रकार की धमकियों से डरने वाला नहीं है और वह हमेशा अपने रास्ते पर चलता रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि मानवता को शांति और युद्ध, बातचीत और टकराव, लाभ और नुकसान के बीच सही रास्ता चुनना होगा। उनका यह बयान अमेरिका की व्यापारिक टैरिफ नीतियों और वैश्विक प्रभाव पर एक अप्रत्यक्ष टिप्पणी के रूप में देखा गया। चीन के राष्ट्रपति ने आगे कहा कि इंसान एक ही ग्रह पर रहते हैं, इसलिए हमें मिलकर काम करना चाहिए और एक-दूसरे के साथ शांति से रहना चाहिए। उनका मानना था कि दुनिया को पुराने जंगल राज में वापस नहीं लौटना चाहिए, जहां बड़े देश छोटे और कमजोर देशों को धमकाते थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चीन हमेशा शांति और सहयोग के रास्ते पर कायम रहेगा।

China Victory Day: चीन की सैन्य ताकत का प्रदर्शन

इस विक्ट्री डे परेड में चीन ने अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करते हुए कई नए और अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइलों को प्रदर्शित किया। इस आयोजन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन, और ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन सहित 26 विदेशी नेताओं ने भाग लिया। इनमें से कुछ देशों को लेकर चीन के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं, खासकर अमेरिका और पश्चिमी देशों में लोग काफी मंथन कर रहे है।  विशेष रूप से, रूस और उत्तर कोरिया के नेताओं की मौजूदगी ने इस परेड को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। यह आयोजन केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि चीन के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और क्षेत्रीय शक्ति के संकेत के रूप में देखा गया। चीन की इस परेड को अमेरिका और पश्चिमी देशों के खिलाफ एक मजबूत कूटनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है, जो चीन के एकजुटता और शक्ति की पुष्टि करता है।

ट्रंप का जवाब: साजिश का आरोप

इस परेड के आयोजन के कुछ घंटों बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर चीन, रूस और उत्तर कोरिया के बीच बढ़ते सहयोग को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि इन देशों के गठजोड़ से अमेरिका के खिलाफ साजिश रची जा रही है। ट्रंप ने अपने पोस्ट में यह भी याद दिलाया कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका ने चीन को विदेशी आक्रमण से मुक्ति दिलाई थी और कई अमेरिकी सैनिकों ने इस संघर्ष में अपनी जान गंवाई थी। ट्रंप ने इस परेड को चीन के लिए एक गौरवपूर्ण अवसर बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि चीन को अमेरिकी बलिदान का सम्मान करना चाहिए।

वैश्विक कूटनीति पर असर

चीन का यह आयोजन न केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन था, बल्कि यह वैश्विक कूटनीति में भी एक बड़ा संदेश था। रूस, उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों की मौजूदगी ने पश्चिमी देशों के लिए एक नई चिंता उत्पन्न की है। विशेष रूप से अमेरिका के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि इन देशों के साथ बढ़ते चीन के रिश्ते, वैश्विक स्तर पर अमेरिका के प्रभाव को चुनौती देने की कोशिश हो सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि यह परेड तीन देशों के बीच बढ़ते सहयोग और साझेदारी का संकेत हो सकता है। इस आयोजन ने यह भी साफ कर दिया कि चीन अपनी सैन्य ताकत को और भी बढ़ा रहा है और अपने प्रभाव को वैश्विक स्तर पर मजबूत करने का प्रयास कर रहा है।

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