पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची विवाद गहराया: ममता बनर्जी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखा पत्र, एसआईआर प्रक्रिया रोकने की मांग तेज

खबर सार :-
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर राजनीतिक और प्रशासनिक तनाव चरम पर है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे लोकतांत्रिक ढांचे के लिए खतरा बताया है, जबकि भाजपा इसे चुनावी मुद्दा बनाकर ममता सरकार पर सीधा हमला कर रही है। एसआईआर की प्रक्रिया, कार्यभार, आत्महत्या के मामले और किसानों की समस्याओं ने पूरे राज्य में असंतोष को और गहरा कर दिया है।

पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची विवाद गहराया: ममता बनर्जी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखा पत्र, एसआईआर प्रक्रिया रोकने की मांग तेज
खबर विस्तार : -

SIR West Bengal: पश्चिम बंगाल की राजनीति इन दिनों मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision–SIR) को लेकर गरमाई हुई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को इस मुद्दे पर मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार को एक विस्तृत पत्र लिखकर पूरी प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोकने की अपील की है। उन्होंने एसआईआर को न केवल ‘खतरनाक’, बल्कि ‘बिना योजना वाला और अमानवीय’ कदम करार दिया।

ममता का आरोपः 3 महीने में 3 साल का काम

अपने पत्र में ममता बनर्जी ने कहा कि चुनाव आयोग ने जो प्रक्रिया तीन साल में पूरी होती है, उसे तीन महीने में लागू कर दिया है। इससे पूरा प्रशासनिक तंत्र दबाव में आ गया है। बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) लगातार अत्याधिक कार्यभार का सामना कर रहे हैं, उनमें कई लोग मानसिक तनाव झेल रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि बीएलओ को उचित ट्रेनिंग नहीं दी गई, सर्वर बार-बार फेल हो रहा है,ऑनलाइन फॉर्म भरना मुश्किल हो गया है, और डेडलाइन पूरी तरह अव्यावहारिक है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईआर की हड़बड़ी में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मूल आत्मा को नुकसान पहुंच रहा है।

अब केंद्र में पहुंचा आंगनवाड़ी वर्कर की आत्महत्या का मामला

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में सबसे दर्दनाक घटना का जिक्र किया कि जलपाईगुड़ी के माल इलाके में एक आंगनवाड़ी वर्कर, जो बीएलओ के रूप में भी काम कर रही थीं, ने कथित तौर पर भारी दबाव के चलते आत्महत्या कर ली। ममता का दावा है कि यह अकेला मामला नहीं है। एसआईआर का ‘मानसिक, शारीरिक और प्रशासनिक बोझ’ कर्मचारियों को तोड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ दस्तावेजी प्रक्रिया नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ है।

खेती-किसानी के कामों में व्यस्त हैं किसान

ममता ने पत्र में लिखा कि बंगाल में इस समय धान कटाई और आलू बुआई का पीक सीजन है। ऐसे में लाखों किसान खेतों में व्यस्त हैं, वे घर जाकर या ऑनलाइन फॉर्म भरकर प्रक्रिया पूरी नहीं कर पा रहे हैं। बीएलओ पर दबाव के कारण नोटिस, धमकियों और जवाबदेही का डर भी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि गलतियों के डर से कई वास्तविक वोटरों का नाम लिस्ट से कट सकता है, जिससे लोकतंत्र की बुनियाद कमजोर होगी। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में चार प्रमुख मांगें रखी हैं, जिनमें एसआईआर की प्रक्रिया तुरंत रोकने, बीएलओ को उचित ट्रेनिंग देने, तकनीकी सपोर्ट मजबूत करने और एसआईआर की टाइमलाइन बढ़ाना शामिल है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर प्रक्रिया को अभी नहीं सुधारा गया, तो इसके “भयावह परिणाम” सामने आएंगे और लोकतंत्र की साख को नुकसान पहुंचेगा।

बंगाल में ममता का हाल राहुल गांधी जैसा होगाः  अग्निमित्रा पॉल

पश्चिम बंगाल में एसआईआर विवाद को लेकर विपक्ष खासकर भाजपा ने ममता सरकार पर हमला तेज कर दिया है। भाजपा नेता अग्निमित्रा पॉल ने कहा कि जिस तरह बिहार की जनता ने राहुल गांधी को नकारा, उसी तरह बंगाल की जनता 2026 विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को सत्ता से बाहर कर देगी। उन्होंने राहुल गांधी पर भी कई सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेताओं ने ही उनकी क्षमता पर सवाल उठाया, ‘वोट अधिकार यात्रा’ में लगाए गए 65 लाख नाम काटने के आरोप का आधार नहीं मिला, 65 लोगों ने भी शिकायत दर्ज नहीं कराई। अग्निमित्रा पॉल ने दावा किया कि बंगाल में जनता अब बदलाव चाहती है।

कांग्रेस पर भाजपा का प्रहार-शशि थरूर विवाद पर बयान

भाजपा नेता प्रतुल शाहदेव ने शशि थरूर की प्रशंसा वाले बयान की आलोचना पर कांग्रेस को घेरा। उन्होंने कहा कि विपक्ष को सिर्फ नकारात्मक राजनीति सूट करती है, शशि थरूर जैसे अनुभवी नेता की बात को सुप्रिया श्रीनेत जैसे नेताओं द्वारा खारिज करना अनुचित है,यह सब गांधी परिवार के इशारे पर होता है। दिल्ली ब्लास्ट पर इल्तिजा मुफ्ती की टिप्पणी को उन्होंने शर्मनाक बताया और कहा कि ऐसे बयान आतंकवाद को सही ठहराते हैं।

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