Maratha Reservation : मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे की मांग पूरी हो गई है। उन्होंने मुंबई में अपने हजारों समर्थकों से कहा कि हमारी जीत हुई है। महाराष्ट्र सरकार उनकी मांगों पर काम करने के लिए तैयार हो गई है। दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने जरांगे और उनके समर्थकों को दोपहर 3 बजे तक आज़ाद मैदान खाली करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि अगर आदेश का पालन नहीं किया गया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार की मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडलीय उप-समिति के अन्य सदस्य - शिवेंद्रसिंह भोसले, उदय सामंत, माणिकराव कोकाटे ने मंगलवार को दक्षिण मुंबई के आज़ाद मैदान में जरांगे से मुलाकात की और समिति द्वारा तैयार किए गए मसौदे पर उनसे चर्चा की। जरांगे ने कहा कि अगर महाराष्ट्र सरकार मराठा आरक्षण की मांग पर शासकीय आदेश (जीआर) जारी करती है, तो हम मुंबई से रवाना हो जाएंगे।
मनोज जरांगे पाटिल मुंबई के आज़ाद मैदान में मराठा समुदाय के लिए ओबीसी वर्ग से आरक्षण की मांग को लेकर बैठे थे। मनोज जरांगे ने फैसला किया था कि जब तक आरक्षण नहीं मिलता और मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वह मुंबई नहीं छोड़ेंगे। ऐसे में मराठा उप-समिति के अध्यक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल ने मनोज जरांगे पाटिल से मुलाकात की। इस दौरान राधाकृष्ण विखे पाटिल ने सरकार द्वारा तैयार किया गया मसौदा जरांगे पाटिल को दिखाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने मनोज जरांगे पाटिल की सभी मांगें मान ली हैं।
उप-समिति ने हैदराबाद राजपत्र लागू करने की जरांगे की मांग स्वीकार कर ली और कहा कि कुनबी अभिलेख वाले मराठों को उचित जांच के बाद जाति प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। जरांगे ने अपने समर्थकों के सामने समिति के मसौदे के बिंदु पढ़े, जिसमें कहा गया था कि समिति ने हैदराबाद राजपत्र के कार्यान्वयन को स्वीकार कर लिया है और जीआर तुरंत जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सतारा राजपत्र का कार्यान्वयन एक महीने के भीतर पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि समिति द्वारा दिए गए आश्वासन के अनुसार, मराठा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पहले दर्ज मामले सितंबर के अंत तक वापस ले लिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि यह भी निर्णय लिया गया है कि अब तक विरोध प्रदर्शनों के दौरान जान गंवाने वालों के परिवारों को उनकी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार एक सप्ताह के भीतर आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरी दी जाएगी। समिति ने जरांगे को बताया कि अब तक (जान गंवाने वाले प्रदर्शनकारियों के परिवारों को) 15 करोड़ रुपये की सहायता दी जा चुकी है और शेष राशि एक सप्ताह में दे दी जाएगी। विखे पाटिल ने कहा कि 'ऋषि सोयारे' (रक्त संबंधी) अधिसूचना पर आठ लाख आपत्तियां प्राप्त हुई हैं और सरकार को उनकी जांच के लिए समय चाहिए।
मंत्री ने कहा कि सरकार कुनबी और मराठा को एक ही समुदाय बताते हुए एक जीआर जारी करने के लिए कानूनी विकल्पों पर भी विचार कर रही है और इस प्रक्रिया में दो महीने लगेंगे। जरांगे की जीत की घोषणा के बाद, आज़ाद मैदान और उसके आसपास मराठा आरक्षण आंदोलनकारियों में जश्न का माहौल था। जरांगे ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समूह के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर 29 अगस्त से भूख हड़ताल शुरू की थी।
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