Samvidhan Diwas 2025 Live : भारत का लोकतंत्र दुनिया के लिए मिसाल-  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

खबर सार :-
Samvidhan Diwas 2025 Live : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस पर संबोधित करते हुए भारतीय संविधान की अहमियत और विकास के मार्ग पर सरकार की नीतियों की चर्चा की। उन्होंने डिजिटल संविधान संस्करणों का शुभारंभ किया और महिला सशक्तिकरण, धारा 370 का निरसन, और GST जैसे सुधारों का जिक्र किया।

Samvidhan Diwas 2025 Live : भारत का लोकतंत्र दुनिया के लिए मिसाल-  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
खबर विस्तार : -

Samvidhan Diwas 2025 Live : संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों को संबोधित करते हुए भारत के लोकतंत्र को दुनिया के लिए एक आदर्श बताया। उन्होंने कहा कि भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते न केवल अपनी विविधता में एकता का प्रतीक है, बल्कि दुनिया में लोकतांत्रिक मूल्यों का सबसे शक्तिशाली उदाहरण प्रस्तुत करता है।

Samvidhan Diwas 2025 Live : भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा- राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान दिवस के अवसर पर लोकसभा और राज्यसभा के दोनों सदनों के सांसदों की भूमिका की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तहत, हमारे देश की कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका ने मिलकर देश के विकास की गति को तेज किया है और नागरिकों के जीवन में अमूलचूल सुधार किया है। राष्ट्रपति ने भारतीय संसद की परंपरा की भी सराहना की।  उन्होंने विश्वास जताया कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा और संकल्प लिया कि संसद के दिशा-निर्देशों के अनुसार भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य अवश्य पूरा होगा। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि हमारे संविधान और लोकतंत्र की यह गौरवशाली परंपरा आज केवल हमारे देश के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनी हुई है।

Samvidhan Diwas 2025 Live​​​​​​​ : भारतीय संविधान के नौ भाषाओं में संस्करणों की शुरुआत

राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में संविधान के निर्माणकर्ताओं के दूरदर्शी दृष्टिकोण और उनके द्वारा दिए गए अधिकारों की प्रासंगिकता पर बल दिया। उन्होंने हालिया सरकारी नीतियों और देश में हो रहे सामाजिक-राजनीतिक बदलावों का भी उल्लेख किया। राष्ट्रपति मुर्मू ने इस दिन डिजिटल रूप में भारतीय संविधान के नौ भाषाओं में संस्करणों की शुरुआत की, जिसमें कश्मीरी और बोडो भाषाओं के संस्करण भी शामिल थे।

उनके संबोधन के पांच प्रमुख उद्धरण इस प्रकार थे-

  • हमारे संविधान निर्माताओं ने हमारे व्यक्तिगत और लोकतांत्रिक अधिकारों की हमेशा रक्षा करने की मंशा रखी थी। राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान का प्रारूप इस उद्देश्य से तैयार किया गया था कि नागरिकों की स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा हमेशा सुनिश्चित रहे।
  • 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालना देश की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। उन्होंने हाल के वर्षों में बड़े पैमाने पर गरीबी उन्मूलन को देश की प्रगति के रूप में बताया और इसे समावेशी विकास के संविधानिक दृष्टिकोण की सफलता के रूप में देखा।
  • धारा 370 का उन्मूलन भारत को एक राजनीतिक अवरोध से मुक्त करने का कदम था। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि धारा 370 का निरसन जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक एकीकरण में एक महत्वपूर्ण कदम था और इससे चुनावों में ऐतिहासिक मतदाता भागीदारी हुई।
  • नारी शक्ति के माध्यम से महिला-केन्द्रित विकास की शुरुआत होगी।    राष्ट्रपति ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाए गए कदमों जैसे कि नारी शक्ति बंधन अधिनियम और तीन तलाक पर प्रतिबंध को महत्वपूर्ण बताया।
  • वस्तु और सेवा कर (GST) देश की आर्थिक एकता को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया था। राष्ट्रपति ने ळैज् को एक महत्वपूर्ण संरचनात्मक सुधार बताया, जो राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने में सहायक रहा। कार्यक्रम के अंत में, उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संविधान के योगदान और भारतीय लोकतंत्र में इसके महत्व पर प्रकाश डाला। समारोह का समापन संविधान सभा के उन महान निर्माताओं को श्रद्धांजलि अर्पित कर किया गया, जिनकी मेहनत ने आधुनिक भारत का निर्माण किया।
     

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