दिल्ली-एनसीआर में तेजी से बढ़ रहे एच3एन2 के मामले, विशेषज्ञों ने बदलते मौसम को बताया जिम्मेदार

खबर सार :-
दिल्ली एनसीआर में एच3एन2 फ्लू तेजी से फैल रहा है। कमजोर इम्युनिटी, अस्थमा, सीओपीडी, ह्दय रोग व मधुमेह के रोगियों में इसके तेजी से फैलने की संभावना है। हेल्थ एक्सपर्ट मौसम में बदलाव को प्रमुख वजह मान रहे हैं। बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं इस बीमारी के प्रति सबसे संवेदनशील हैं। इसके लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में खराश और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं।

दिल्ली-एनसीआर में तेजी से बढ़ रहे एच3एन2 के मामले, विशेषज्ञों ने बदलते मौसम को बताया जिम्मेदार
खबर विस्तार : -

नई दिल्ली : स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बुधवार को कहा कि मौसम की बदलती परिस्थितियां दिल्ली-एनसीआर में इन्फ्लूएंजा ए स्ट्रेन एच3एन2 के मामलों को बढ़ा रही हैं। एच3एन2 एक मौसमी फ्लू है जो मनुष्यों में फैलता है और समय के साथ म्यूटेट होता रहता है। बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं इस बीमारी के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं। यह कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों और अस्थमा, सीओपीडी, हृदय रोग या मधुमेह के रोगियों में अधिक गंभीर रूप ले सकता है। एम्स के आंतरिक चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर अनिमेष रे ने बताया, "एच3एन2 के कारण इन्फ्लूएंजा के मामले बढ़ रहे हैं।

इसके प्रमुख लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में खराश, और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं।" विशेषज्ञ ने बताया कि यह स्थिति आमतौर पर हल्की होती है, लेकिन अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों में यह गंभीर हो सकती है। रे ने कहा, "हालांकि ज्यादातर मामले हल्के होते हैं, फिर भी पिछली कोमोरबिडिटी (एक ही समय में एक से अधिक बीमारियों का होना) वाले लोग जिन्हें गुर्दे की समस्या, मधुमेह, हृदय रोग, या फेफड़ों की बीमारियां हैं, उन्हें निमोनिया या फिर लंग फेल्योर से जूझना पड़ सकता है।"

 69 प्रतिशत घरों में कम से कम एक सदस्य वायरस से है पीड़ित 

सोशल कम्युनिटी प्लेटफॉर्म लोकलसर्किल्स द्वारा 11,000 से ज्यादा घरों पर किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 69 प्रतिशत घरों में कम से कम एक सदस्य में बुखार, खांसी, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई देने की बात कही गई है। शहर के एक प्रमुख अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार चिकित्सा डॉ. अतुल गोगिया ने बताया, "मौसम में बदलाव और टीकाकरण की कमी के कारण ये मामले बढ़ रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा, "इसके लक्षण मौसमी फ्लू जैसे ही होते हैं। खांसी, जुकाम और नाक बहने के अलावा ये फेफड़ों को प्रभावित कर सकते हैं जिससे आगे चलकर निमोनिया भी हो सकता है।"

रोगियों में एक सप्ताह तक रहता है तेज बुखार

बच्चों में, इसके लक्षणों में मतली, उल्टी या दस्त शामिल हो सकते हैं। कई रोगियों ने 5-7 दिनों तक बुखार रहने और अन्य लक्षण कम होने के बाद भी खांसी बने रहने की जानकारी दी। विशेषज्ञों ने एच3एन2 से बचाव के लिए उचित रूप से हाथ धोने, मास्क पहनने और टीकाकरण की सलाह दी। उन्होंने सालाना टीकाकरण कराने और पीड़ितों के संपर्क से बचने का भी सुझाव दिया।
 

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