देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस बी.आर. गवई, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दिलाई शपथ

खबर सार :-
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वे पहले बौद्ध और दलित समुदाय से दूसरे CJI बने हैं। जानिए उनका न्यायिक सफर और सामाजिक पृष्ठभूमि।

देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस बी.आर. गवई, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दिलाई शपथ
खबर विस्तार : -

52nd-Chief-Justice-of-India: भारत के न्यायिक इतिहास में एक नया अध्याय उस समय जुड़ गया जब न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने सुप्रीम कोर्ट के 52वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India - CJI) के रूप में शपथ ली। मंगलवार सुबह राष्ट्रपति भवन में आयोजित गरिमामय समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। यह अवसर भारतीय न्यायपालिका के लिए ऐतिहासिक रहा, क्योंकि जस्टिस गवई देश के पहले बौद्ध और स्वतंत्रता के बाद दलित समुदाय से दूसरे मुख्य न्यायाधीश बने हैं। जस्टिस गवई की नियुक्ति एक ऐसे समय में हुई है जब देश समावेशिता और विविधता के संदेश को मजबूती से दोहरा रहा है। वे ऐसे परिवार से आते हैं जो डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को आत्मसात किए हुए है। उनके पिता आर.एस. गवई देश के प्रमुख अंबेडकरवादी नेता, सांसद और बिहार एवं केरल के राज्यपाल रह चुके हैं। जस्टिस गवई की नियुक्ति को न्यायपालिका में सामाजिक प्रतिनिधित्व की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है।

छह महीने का कार्यकाल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की जगह ली

जस्टिस गवई ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के स्थान पर पदभार ग्रहण किया, जो सोमवार को 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हुए। जस्टिस गवई का कार्यकाल हालांकि लगभग छह महीने का होगा, लेकिन इस अवधि में उनसे न्यायिक मामलों में संवेदनशीलता और निष्पक्षता की अपेक्षा की जा रही है। उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक रहेगा।

करियर की यात्रा: एक ग्रामीण वकील से देश के मुख्य न्यायाधीश तक

24 नवंबर, 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में जन्मे जस्टिस गवई ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद 1985 में वकालत शुरू की। उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट और उसकी नागपुर बेंच में सक्रिय प्रैक्टिस की। 2000 में उन्हें नागपुर बेंच के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया, और 2003 में हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने। 2005 में वे बॉम्बे हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बनाए गए। 24 मई, 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और पिछले छह वर्षों में वे लगभग 700 पीठों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने संवैधानिक, आपराधिक, प्रशासनिक, पर्यावरण, वाणिज्यिक और शिक्षा कानून जैसे अनेक क्षेत्रों से जुड़े जटिल मामलों का समाधान दिया। जस्टिस गवई भले ही देश की सर्वोच्च अदालत के सर्वोच्च पद तक पहुंच गए हों, लेकिन उनका जुड़ाव अपनी जड़ों से बना हुआ है। वे आज भी साल में तीन बार अपने गांव जाते हैं—अपने दिवंगत पिता की जयंती, पुण्यतिथि और गांव के सालाना मेले के अवसर पर। यह उनकी विनम्रता और सामाजिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

राष्ट्रपति भवन में रहा विशेष उत्साह

शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, कई केंद्रीय मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश और न्यायपालिका से जुड़े गणमान्य अतिथि मौजूद थे। समारोह की गरिमा और उसमें उपस्थित विविध प्रतिनिधित्व भारतीय लोकतंत्र की ताकत को दर्शा रहा था।

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